सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने कोट में आयोजित किया शिविर
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
हमीरपुर। उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा है कि हमारे समाज में व्याप्त कुरीतियों को पूरी तरह खत्म करने के लिए हर व्यक्ति को अपनी सोच बदलने की आवश्यकता है। हालांकि, सरकार ने इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए कड़े कानून भी बनाए हैं, लेकिन इन कानूनों के साथ-साथ आम व्यक्ति की सोच में बदलाव से ही एक बड़े सामाजिक परिवर्तन की नींव रखी जा सकती है। उपायुक्त वीरवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा गांव कोट में आयोजित जागरुकता शिविर की अध्यक्षता कर रहे थे। इस शिविर में लोगों को एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम और कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान की गईं।
उपायुक्त ने कहा कि किसी भी कानून के लागू करने के पीछे सरकार की एक मंशा होती है और प्रत्येक नागरिक को वह मंशा समझनी चाहिए। आजादी के कई दशकों बाद भी जब समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग उत्पीड़न का शिकार हो रहा था तो सरकार को कड़ा कानून लाना पड़ा। हेमराज बैरवा ने कहा कि अगर हम सबको एक समान और एक नजर से देखेंगे तो किसी कानून की जरुरत ही नहीं पड़ेगी और हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा की गई परिकल्पना भी साकार होगी।
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इस अवसर पर एसपी डाॅ. आकृति शर्मा ने कहा कि किसी भी तरह के अत्याचार या अपराध की सूचना तुरंत पुलिस को देनी चाहिए। शिकायत दर्ज करवाने के लिए पुलिस थाना या चैकी आने की आवश्यकता भी नहीं है। हिमाचल पुलिस के टाॅल फ्री नंबर 112 पर भी शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है। एसपी ने बताया कि एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में पुलिस त्वरित कार्रवाई करती है और ऐसे मामलों की जांच राजपत्रित अधिकारी यानि कम से कम डीएसपी स्तर का अधिकारी ही करता है। इन केसों की सुनवाई भी विशेष न्यायधीश के समक्ष ही होती है।
इसमंे पीड़ित लोगों के लिए राहत राशि का प्रावधान भी है। उन्होंने महिलाओं के साथ होने वाले संगीन अपराधों और साइबर अपराधों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। सहायक जिला न्यायवादी विशाल दीपक और वरिष्ठ अधिवक्ता केसी भाटिया ने एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों तथा वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश जसवाल ने आम नागरिक के संवैधानिक अधिकारों से अवगत करवाया। जिला कल्याण अधिकारी राकेश पुरी ने समाज के वंचित एवं कमजोर वर्गों के उत्थान एवं सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी तथा लोक कलाकारों ने गीत-संगीत एवं नाटक के माध्यम से अधिनियम के बारे में बताया।