शिमला: वेतनमान के लाभों से वंचित रहने वाले पुलिस कांस्टेबल के पेचीदे मामले को सरकार सुलझाने का प्रयास करेगी. इस संबंध में एक दिन पहले ही डीजीपी संजय कुंडू ने आइजी सीटीएस एपी सिंह की अगुवाई में कमेटी का गठन किया है. कमेटी पहले मुद्दे को खुद समझेगी, इसके सभी पहलुओं का अध्ययन करेगी, इसके बाद रिपोर्ट राज्य पुलिस मुख्यालय के माध्यम से सरकार को भेजेगी. लेकिन प्रभावित पुलिस कर्मी कमेटी के समक्ष व्यक्तिगत तौर पर अपना पक्ष नहीं रख पाएंगे, अगर ऐसा किया तो उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की तलवार लटक सकती है, वे चिह्नित हो जाएंगे.
लेकिन हिमाचल प्रदेश पुलिस कल्याण संघ कमेटी से जरूर मुलाकात करेगा. इसके प्रदेश अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय पुलिस कल्याण महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव रमेश चौहान का कहना है कि उनसे प्रभावित कांस्टेबल ने संपर्क नहीं साधा. अभी तक वे अपने सतर पर मामला उठा रहे थे. लेकिन संघ पुलिस कर्मचारी के कल्याण से जुड़े मुद़्दों को पहले भी प्रमुखता से उठा चुका है. कई मामले हाईकाेर्ट तक पहुंचाए. कईयों में न्याय मिलने में कामयाबी मिली, कुछेक अभी भी कोर्ट में लंबित हैं.
रमेश चौहान ने कहा कि बेशक सिंगल बैच का फैसला पुलिस कर्मी के खिलाफ आया है, लेकिन इसे डबल बैंच में चुनौती दी जा सकती है. कोशिश रहेगी कि इस मामले को कोर्ट से बाहर सरकार के साथ मिल बैठकर सुलझाया जाए. लेकिन अगर मामला नहीं सुलझाने की बजाय उलझाने की कोशिश की गई तो पुलिस कर्मी के हकों की लड़ाई सुप्रीमकोर्ट तक लड़ी जाएगी.
डीजीपी ने गठित की है कमेटी
2013 के बाद भर्ती हुए पुलिस कांस्टेबल के वेतन विसंगतियों के मामले में आईजी के नेतृत्व में चार सदस्य पुलिस कमेटी गठित की है. यह कमेटी 1 सप्ताह के भीतर पूरे मामले का अध्ययन करेगी और अपनी रिपोर्ट डीजीपी को सौंपेगी. डीजीपी इस रिपोर्ट को राज्य सरकार को सौंपेंगे. यह कमेटी जवानों के वेतन विसंगति के संंबंध में शिकायतों का विश्लेषण करेगी और एक सप्ताह के भीतर अपनी विस्तृत रिपोर्ट मुख्यालय को देगी जवानों की मांग के समाधान का मामला सरकार के समक्ष उठाया जा सके.
मुख्यमंत्री ने दिया था मदद का भरोसा
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस मसले पर प्रभावित पुलिस कर्मी को मदद का भरोसा दिया था. राज्य पुलिस मुख्यालय ने भी एडवायजरी जारी कर अनुशासन बनाए रखने की अपील की थी. इस बीच रविवार को पुलिस जवानों के स्वजनों ने बिलासपुर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले और उनके एक ज्ञापन सौंपा. इससे पहले अपनी मांगों को लेकर पुलिस जवान मुख्यमंत्री के शिमला स्थित सरकारी आवास ओकओवर पहुंचे थे. इस दौरान मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि नियमों की परिधि में जो भी मदद हो सकेगी, वह सरकार करेगी.
प्रभावित पक्ष से भी होगी बात
राज्य पुलिस मुख्यालय का दावा है कि कमेटी प्रभावित पक्षों से लिखित में उनकी मांगों को लेकर ज्ञापन लेगी. इसके साथ ही पुलिस अधिनियमों के प्रावधानों, पुलिस नियमों और सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों का अध्ययन करने के बाद अपनी सिफारिशें देगी. यह अन्य राज्यों में पुलिस भर्ती, वेतनमान सहित अन्य प्रावधानों को भी अध्ययन करेंगी. इसके साथ ही प्रदेश में अन्य विभागों में वेतनमान के प्रावधानों, नियमितिकरण की शर्तों, वेतनमान जारी करने के प्रावधानों का भी अध्ययन करेंगी. गौरतलब है कि प्रभावित पुलिस कान्सटेबल ने संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक में मांग पूरी न होने पर मैस में भोजन करना त्याग दिया था.
क्या है मामला
पुलिस जवान आठ साल के बजाय दो साल बाद संशोधित वेतनमान देने की मांग कर रहे हैं. वर्ष 2013 में सरकार ने नियम बदले, इसके बाद पद तो नियमित रहा लेकिन वेतन अनुबंध के बराबर ही मिलता है. वर्ष 2016 में पूर्व कांग्रेस सरकार ने 2013 में भर्ती हुए पुलिस कर्मी को पूरा लाभ दिया लेकिन 2015 और 16 के बैच के जवानों को इससे वंचित रखा गया. इसके बाद भर्ती हुए जवानों पर भी यही आठ साल की शर्त लगा दी गई है.