भूमि को रसायनों के दुष्प्रभाव से बचा कर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की मुहिम हुई तेज

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गौ सेवा विंग ने देश भर में शुरू की पहल, हर ज़िले में होगा एक सुरभि ग्राम

देशी नस्ल की गऊ
देशी नस्ल की गऊ

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

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शिमला।  देशी नस्ल की गऊ  और  प्रकृति को बचाने के लिए  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का  गौ सेवा प्रशिक्षण विंग इन दिनों देश में लोगो को सजग करने में लगा है।  ताकि लोग समझ सके की संस्कृति हमारी गऊ है और प्रकृति हमारी भूमि  है।  इन्हें संरक्षित कर सुखद भविष्य  का निर्माण करना है। पहले चरण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गौ सेवा विंग देश में पचास सुरभि ग्राम तैयार करेगा।  जहाँ पुरे गाँव में देशी  नस्ल की गऊ  होंगी और  खेती भी गौ आधारित होगी।

 

इसे आगे बढ़ने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय गौ सेवा  प्रशिक्षण  प्रमुख राघवन  20  से 30 जून तक हिमाचल प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जा कर लोगो  से बैठके करने के साथ प्रशिक्षण दे रहे है। इसी कड़ी में रामपुर के बालना  एमएड महाविद्याल परिसर  में एक बैठक एवं प्रशिक्षण शिविर लगाया गया जिस में राघवन ने पहाड़ी एवं देसी गऊ पालन के  क्या लाभ है विस्तार से बताया।

  उन्होंने बताया  सुखद भविष्य के लिए जैविक खेती  और देसी गौ एक सशक्त विकल्प है हमारे ऋषिमुनियों ने भी इसे बढ़ावा दिया था और हमारी संस्कृति और परम्परा को बचाये रखा। उन्होंने बताया देश में संघ का गौ सेवा विंग  गौ आधारित कृषि पर विशेष रूप से कार्य करने  प्रेरित कर रहा है।  प्रांत से लेकर खंड स्तर तक टीम बना कर सामूहिक रूप से काम  किया जायेगा ।

 

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दिनेश शास्त्री हिमाचल प्रांत गौ सेवा संयोजक ने बताया स्वदेशी अथवा हिमाचली पहाड़ी गऊ  के पालने  के  लक्ष्य एवं उद्देश्य लोगो को बताये जा रहे है ।  इस का अपने दैनिक जीवन में कैसे उपयोग कर सकते है बताया जा रहा है। जो गौ आधारित कृषि  है उसे आगे बढ़ाने  के लिए पूरे देश में प्रशिक्षण देने के साथ-साथ सजग करने का  प्रयास  हो रहा है।  कार्य करता कृषकों  से मिलकर मिलकर जिला स्तर पर  एक सुरभि ग्राम तैयार करेंगे जहाँ सभी स्वदेशी गाय होंगी।  गउओ की  देखरेख के बारे में भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।  ऐसे 50 गांव में पहले चरण  इसे आरम्भ  किया जायेगा  ताकि आने वाले समय में पर्यावरण अंन, जल, ,वायु सब शुद्ध हो और  पवित्रता का पूरा वातावरण खड़ा हो सके. अगर संस्कृति और प्रकृति को अच्छा बनाए  रखेंगे तो मनुष्य सुखद  एवं संस्कारी जीवन जी  सकेगा।