आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। मुख्यमत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि केंद्र लगातार हिमाचल का पैसा रोक रहा है। हमारे कर्ज लेने की सीमा 14500 करड़ो से घटाकर 8500 करोड़ कर दी गई है। इसके अलावा बाहरी वित्त पोषित परियोजनाओं की राशि में भी कटौती केंद्र में बैठी सरकार कर रही है। इनमें जाइका, विशिव बौंक, एडीबी से मिलने वाली वित्तयी मदद की सीमा को भी कम कर दिया है, लेकिन फिर भी हिमाचल सरकार हर चुनौती से लड़ेगी और आने वाले चार सालों में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाएगी। हिमाचल से चुनकर गए चार सासंद हिमाचल के पैसा रोक रहे हैँ। मुख्यमंत्री पीएमजीएसवाई फेज-3 की प्रगति की समीक्षा बैठक के बाद सचिवालय में पत्रकारों से बात कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्ष उनकी तेजी से घबरा गया है, राज्य सरकार जिस तरह से काम कर रही है तो उनके पास कहने को कुछ नहीं है उन्होंने कहा कि हम संघर्ष करेंगे और आने वाले दस सालों में हिमाचल को देश का सबसे समृद्धशाली राज्य बनाएंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि किसी भी चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार तैयार है। कर्ज के बोझ के तले दबने के बाद भी यही वे अधिकारी हैं, जिनसे सरकार के अधिकारियों और कर्मचारियों को ओपीएस दिया है। सुक्खू ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि एक भी विभाग बता दें कि वहां कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है। एक भी महकमा बता दें, जहां विकास के कार्य को अमलीजामा नहीं पहनाया गया हो।
सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि जब पंजाब था तो हिमाचल और हरियाणा उसके हिस्से थे। भारत सरकार ने इसे बनाया था। इसमें हिमाचल का भी शेयर है। अभी बीबीएमबी में हिमाचल प्रदेश की रॉयल्टी भी है। हिमाचल प्रदेश को बीबीएमबी से एक भी प्रतिशत रॉयल्टी नहीं मिलती है।
इस बारे में पंजाब, हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के अलावा भारत सरकार से भी बात करेंगे। बीबीएमबी में ही नहीं, एसजेवीएनएल में भी शेयर मांग रहे हैं। हाइड्रो के अलावा हिमाचल प्रदेश में कुछ नहीं है। सरकार का दायित्व है कि वह अपनी बात रखे। हर चीज में रोकते रहेेंगे तो हिमाचल में और क्या है।