आदर्श हिमाचल ब्यूरों
रामपुर। ऐतिहासिक अंतर्राष्ट्रीय लवी मेला रामपुर के तहत इस वर्ष आयोजित होने वाली अश्व प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण हिमाचल की प्रसिद्ध चामुर्थी घोड़े की नस्ल रहेगी। उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप के निर्देश पर पशुपालन विभाग ने पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख राज्यों के अश्वपालकों को आमंत्रण भेज दिया है, अश्व प्रदर्शनी का आयोजन 1 से 3 नवंबर 2025 तक किया जाएगा। इस दौरान चामुर्थी घोड़े की विशेषताओं, क्षमता और महत्व के बारे में अन्य राज्यों के अश्वपालकों को विस्तृत जानकारी दी जाएगी ताकि इस घोड़े की बिक्री और पहचान अन्य राज्यों में भी बढ़ सके।
इस दौरान उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बताया कि लवी मेला सैकड़ों वर्ष पुराना है और चामुर्थी घोड़े की बिक्री इस मेले का प्रमुख आकर्षण रही है। पहाड़ी इलाकों में यह घोड़ा अपनी शक्ति, सहनशक्ति और बर्फीले क्षेत्रों में कार्य करने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। 1 नवंबर को अश्व पंजीकरण, 2 नवंबर को गोष्ठी और 3 नवंबर को अश्व चयन, गुब्बारा फोड़ प्रतियोगिता तथा घुड़दौड़ (400 व 800 मीटर) का आयोजन होगा। विजेताओं को मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा, पशुपालन विभाग की ओर से भाग लेने वाले सभी अश्वों के लिए निःशुल्क चारा व दाना उपलब्ध कराया जाएगा। स्पीति घाटी के लारी क्षेत्र में वर्ष 2002 में स्थापित घोड़ा प्रजनन केंद्र चामुर्थी नस्ल के संरक्षण और संवर्धन में अहम भूमिका निभा रहा है। लगभग 82 बीघा भूमि में फैले इस केंद्र में 60 से अधिक घोड़ों को रखने की व्यवस्था है, केंद्र की बदौलत कभी विलुप्ति की कगार पर पहुँची यह नस्ल अब फिर से संख्या में बढ़ रही है।
चामुर्थी नस्ल की उत्पत्ति तिब्बत के छुर्मूत क्षेत्र से मानी जाती है, यही कारण है कि इस नस्ल का नाम ‘चामुर्थी’ पड़ा। यह घोड़ा हिमाचल के लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों के ऊँचे बर्फीले इलाकों में पाया जाता है और इसे ‘शीत मरुस्थल का जहाज’ भी कहा जाता है। यह नस्ल -30 डिग्री तापमान में भी कार्य करने में सक्षम है और कम भोजन में लंबी दूरी तय कर सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह घोड़ा भारत की छह प्रमुख अश्व नस्लों में शामिल है और विश्व स्तर पर भी अपनी ताकत व सहनशक्ति के लिए प्रसिद्ध है।











