प्राकृतिक आपदा प्रबंधन को लेकर एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में किया गया मंथन

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। प्राकृतिक आपदा एवं व्यापक आपदा प्रबंधन विषय एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग वसाइंसेज की  ओर से डॉ.   आनंद मोहन औरराष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के आचार्य शेखर चतुर्वेदी  की अगुवाई में मंगलवार को एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में प्राकृतिक आपदाओं से मानव जीवन में पड़ने वाले प्रभावों और उनके निवारण व प्रबंधन बारे विषय विशेषज्ञों ने विस्तार से चर्चा की और आपदाओं से होने वाले प्रभावों को कम करने के लिए आवश्यक उपायों पर विचार किया गया।

एपीजी शिमला विश्वविद्यालय और भारत सरकार के गृह मंत्रालय का राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस वेबिनार का उद्धघाटन एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. मेश कुमार चौधरी के द्वारा किया गया। इस दौरान एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के सलाहकार इंजीनियर  सुमनविक्रांत, राष्ट्रीयआपदाप्रबंधनसंस्थानकीओरसेमुख्यविषयविशेषज्ञअरुणवर्मा,आचार्यशेखरचतुर्वेदीऔरएपीजीशिमलाविश्वविद्यालयकेकुलपतिप्रो. रमेशकुमारचौधरीनेव्यख्यानदेतेहुएआपदाप्रबंधनपरविस्तृतप्रकाशडाला।वहींएपीजीशिमलाविश्वविद्यालयकेविद्यार्थियोंऔरशिक्षकोंनेऑनलाइनवेबिनारमेंउपस्थितहोकरआपदाप्रबंधनकेबारेमेंविषयविशेषज्ञोंसेआपदाप्रबंधनकेबारेमेंगहरीजानकारीहासिलकीकिआपदाओंसेकैसेनिपटाजाए।विद्यार्थियोंनेविषयविशेषज्ञोंसेप्रश्नपूछकरआपदाओंसेजुड़ीशंकाओंकोदूरकिया।एपीजीशिमलाविश्वविद्यालयकेसलाहकारइंजीनियरसुमनविक्रांतनेपहाड़ीप्रदेशोंमेंहोनेवालीप्राकृतिकआपदाओंभूकंप, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, हिमस्खलन, बादल-फटनाआदिविषयोंपरजानकारीदीऔरचर्चाकरमानवजीवनपरपड़नेवालेप्रभावोंकोकमकरनेकेउपायोंपरविचारकिया।इंजीनियरसुमनविक्रांतनेहिमाचलप्रदेशकाजिक्रकरतेहुएकहाकिसरकारआपदाओं से निपटने के लिए कई सारे इंतज़ाम वप्रबंधकिएहैंलेकिन लोगों में जागरूकता के अभाव में आपदाएं औरमुश्किलोंपैदाकरदेतीहैं। उन्होंने कहा कि लोग आपदाओं के प्रबंधन के बारे में ट्रेनिंग भी लें और दूसरों को भी जागरूक करें ताकि मानव जीवन को बचाया जा सके। वहीं वेबिनार में एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति चौधरी ने अपने व्याख्यान में कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने व उनके प्रबंधन बारे आज स्कूल स्तर से लेकर विश्वविद्यालय स्तर और सामाजिक स्तरपर आपदा प्रबंधन संबंधी शिक्षा की जरूरत महसूस की जा रही है।

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कुलपति चौधरी ने कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए कहा कि विद्यार्थी और सामाजिक स्तर पर लोग इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए जागरूक हों, शिक्षित हों और आपदा प्रबंधन के नियमों व सरकार केदिशा-निर्देशों का पालन करें तो आपदाओं को कम किया जा सकता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान में बतौर आचार्य शेखरचतुर्वेदी और ट्रेनर अरुण वर्मा ने आपदा व आपदा से होने वाली मानव हानि और मानवीय विकास में बाधा, संसाधनों की हानि और उनसे उपजी शंकाओं के बारे में विद्यार्थियों को लघु-फ़िल्म द्वारा अवगत करवाया और साथ ही यह भी बताया कि किस तरह किसी भी प्रकार की आपदाओं से निपटा जा सकता है, आपदाओं से होने वाले नुक्सान को कम किया जा सकता है यदि लोग इस  दिशा में जागरूक हों और समुदाय स्तर से लेकरआस-पड़ोस के लोग आपदाओं  से निपटने के लिए जागरूक हों।  उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन से संबंधित शिक्षा और मानव-संचार इस दिशा में कारगर साबित हो सकता है।

आचार्य शेखर  चतुर्वेदी ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान हमेशा विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर आपदाओं से  निपटने व आपदा प्रबंधन को लेकर विद्यार्थियों, लोगों, आपदाप्रबंधनसेजुड़ीसंस्थाओं, सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाओं और विश्वविद्यालयों को एक सांझा मंच प्रदान करता है।एपीजी शिमला विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति चौधरी और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान की ओर से आचार्य सुमनचतुर्वेदी ने सभी विषय विशेषज्ञों, विद्यार्थियों और वेबिनार में शामिल लोगों का आभार जताया।