हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में छात्रों और पुलिस के बीच झड़प, तीन छात्र जख्मी

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

शिमला| एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई ने छात्रों की विभिन्न मांगों को लेकर कार्यकारी परिषद के उम्मीदवारों को ज्ञापन सौंपा और EC सदस्य एवं शिमला शहरी विधायक हरीश जनारथा का घेराव किया। इस दौरान पुलिस और छात्रों के बीच झड़प हो गई, जिसमें कुछ छात्रों को लाठीचार्ज के कारण चोटें आईं इस घटना में तीन छात्र जख्मी हुए हैं, इसके बाद छात्रों ने धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। धरने के दौरान एसएफआई हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय परिसर सह सचिव आशीष ने बताया कि 2013 से प्रदेश में छात्र संघ चुनाव बंद हैं, जिसके कारण छात्र राजनीति प्रभावित हो रही है और छात्रों को अपना उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा है, उन्होंने मांग की कि छात्र संघ चुनाव शीघ्र बहाल किए जाएं ताकि छात्र राजनीति को पुनः सक्रिय किया जा सके।

इस दौरान एसएफआई शिमला अध्यक्ष विवेक नेहरा ने कहा कि 2019 में संविधान के 103वें संशोधन के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा में 10% आरक्षण दिया जाना है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन इस दिशा में अभी तक पूरी तरह विफल रहा है। उन्होंने उच्च शिक्षा में इस आरक्षण को लागू करने की मांग दोहराई। एसएफआई ने छात्रावास की कमी को भी गंभीर समस्या बताया और विश्वविद्यालय में लगभग 4000 छात्र हैं, जबकि केवल 1200 छात्रों को हॉस्टल की सुविधा मिल पा रही है। एसएफआई ने नए छात्रावासों के निर्माण की मांग की है। एसएफआई विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष योगी ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय में 70 प्रतिशत शिक्षक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भर्ती किए गए हैं, जो शैक्षणिक माहौल को खराब कर रहे हैं और राजनीतिक गतिविधियों में भी संलिप्त हैं, उन्होंने इन फर्जी भर्तियों की न्यायिक जांच और दोषी शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।

एसएफआई ने नई शिक्षा नीति 2020 की भी आलोचना की, इसे आम जन विरोधी बताया और कहा कि इसके माध्यम से शिक्षा को बाजार के नियंत्रण में लाया जा रहा है। इसके अलावा, एसएफआई ने गैर-शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती न कराने और छात्रावास सुविधा में एफआईआर के आधार पर भेदभाव करने पर भी नाराजगी जताई, उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर 4.50 करोड़ रुपये छात्रों से अवैध वसूली करने का आरोप लगाया। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष योगराज ने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन जल्द इन मांगों पर कार्रवाई नहीं करता है तो एसएफआई एक बड़ा आंदोलन आयोजित करेगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।