विशेषर नेगी
रामपुर बुशहर। प्रगतिशील सेब बागवान सुरेंद्र जरेट की तरकीब पुराने सेब बगीचे वाले बागवानों के लिए लेकर आई है नई आशा की किरण। पौधे पुराने होने के बाद उन के तने व जड़ सड़ने से सेब बागवान हो रहे थे परेशान। सुरेंद्र ऐसे पौधों के तनो को खुरच कर साफ़ करने के बाद करते हैं सीमेंट कंक्रीट , जिससे पौधा फिर स्वस्थ हो कर देने लगते है भरपूर फसल । उन की इस नई तरकीब को अपना कर कई बागवान अपने बेकार हुए बगीचों से करने लगे
है लाखो की कमाई। ऐसे में सुरेंद्र सेब बागवानों के लिए हो रहे है प्रेरणादायी साबित ।
ये भी पढ़ें: https://www.aadarshhimachal.com/85-percent-population-of-uttarakhand-at-the-mouth-of-natural-disaster/
हिमाचल की आर्थिकी में सेब का अहम् योगदान है। ऊपरी क्षेत्र के सेब बागवान बगीचों से अच्छी कमाई कर रोजी चला रहे है। लेकिन बागवान सेब के पौधों में निश्चित अवधि पूर्ण होने के बाद जड़ व् तना सड़न जैसी समस्या का समाधान नहीं निकाल पाए थे। ऐसे में सेब के पौधे सूख कर मर जाते है और बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन शिमला जिला के कुमार सैन उपमंडल के ओढ़ी निवासी प्रगतिशील सेब बागवान सुरेंद्र जरेट ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है।
कुछ वर्ष पूर्व सुरेंदर ने तना सड़न रोग से ग्रसित अपने पुराने सेब बाग़ में एक आजमाइश आरम्भ की। उन्होंने पौधों के सड़ कर सुख रहे तनो को खुरच कर साफ़ किया और उस के बाद सड़े हुए खोखले स्थान पर सीमेंट , रेत व् बजरी मिला कर कंक्रीट एवं पलस्तर किया। इस से सभी पौधों में आश्चर्यजनक परिवर्तन आया और फिर से पौधे स्वस्थ हुए।
आज सेब के हर पौधे से वे 10 से 12 पेटी सेब ले रहे हैं। कई अन्य बागवानो ने भी सुरेंद्र के बगीचे का दौरा
कर उन के द्वारा अपनाए गए तरीकों का प्रयोग आरम्भ किया है और उन्हें भी सफलता मिली है। ऐसे में जिन के सेब बाग़ पुराने हो चुके है और पौधों को काटने की सोच रहे थे उन्हें एक नई दिशा मिली है।
प्रगतिशील सेब बागवान सुरेंद्र जरेट ने बताया की उन के पुराने सेब बगीचा तना सड़न से नष्ट चुका था , लेकिन उन्होंने एक तरकीब सोची और पौधे के सड़न वाले स्थान को खुरच कर साफ़ किया व् सीमेंट , बजरी एवं रेत मिला
कर कंक्रीट एवं पलस्तर किया। जिस के बाद पौधों में अभूतपूर्व परिवर्तन आया। आज उन पौधों से दस से बारह पेटी प्रति पौधा सेब फल ले रहे है।

बागवान उमा दत्त ने बताया किसानो को नई तरकीब मिली है। ओढ़ी के बागवान ने सेब के तना सड रहे पुराने पौधों में सीमेंट कंक्रीट कर पलस्तर किया और पौधे फिर से ताजा हो रहे है। उन्होने दूसरे बागवानों से जिन के बगीचे पुराने हो चुके है उन्हें यह तरकीब अपनाने की सलाह दी है।

बागवान रोशन चौधरी ने बताया सुरेंद्र ने पुराने बागीचे में एक्सपरिमेंट किया है जो सफल हुआ है। जिन बागवानों के सेब बाग़ पुराने हो चुके है उन्हें घबराने की जरूरत नहीं। सुरेंदर द्वारा अपनाई गई तकनीक
से वे पुनः सेब बाग़ को स्वस्थ कर सकते है।