
कहा, गरीबी और गंदगी का आपस में कोई संबंध नही, मानवीय व्यवहार में बदलाव लाना अत्यंत आवश्यक
राज्य प्रदूषण बोर्ड की कार्यशाला में विशेषज्ञों ने प्रदूषण को लेकर किए कई खुलासे, समाधान भी बताए
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। विदशों में भी गरीबी है लेकिन वहां गंदगी नही है। गरीबी व गंदगी का आपस में कोई संबंध नहीं है। भारत में इन दोनों को साथ जोड़कर देखा जाता है जबकि ऐसा नही है। हमें अपनी मानसिकता व मानवीय व्यवहार में बदलाव की बेहद आवश्यकता है। ये बात शनिवार को राज्य अतिथि गृह पीटर आफ में हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण बोर्ड की कार्यशाला समन्वय-2021 में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त, कार्मिक, पर्यावरण विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी, एवं अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रबोध सक्सेना ने कही। इससे पहले उन्होंने पीसीबी के सदस्य सचिव अपूर्व देवगन के साथ मिलकर प्रबोधन सक्सेना ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन किया।
अपने संबोधन में प्रबोध सक्सेना ने कहा कि विदेशों में कानूनों की पालना इसलिए नही है कि वहां के लोग हमसे अधिक समझदार है बल्कि इसलिए है कि वहां पालना के लिए सख्ती अधिक है। उन्होंने कहा कि हिमाचल की छवि पर तीन बातें ग्रहण लगा रही है जिसमें सुधार की आवश्यकता है। इन तीन बातों में यहां की सात नदियों व शहरों का प्रदूषित होना और तीसरा गंदगी है। उन्होंने कहा कि हिमाचल एक पीढ़ी में काफी बदल गया है और यहां नियमों की पालना करने की संभावना काफी अधिक है।
प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अपने उद्घाटन संबोधन में पर्यावरण नियमों को प्रभावी ढंग से प्रदेश में लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आगे कहा कि समन्वित और परामर्शी प्रयासों के अलावा, हर स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने से राज्य में पर्यावरण अधिनियमों और नियमों के अनुपालन स्तर मे सुधार करने का अवसर मिलेगा ।
उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए मानवीय व्यवहार में बदलाव अत्यन्त आवश्यक है और साथ ही राज्य बोर्ड़ से अपने कार्यों में सतर्कता, सख्ती और पारदर्शिता लाने का आहवाहन किया। उन्होंने राज्य के लोगों की उच्चतम शैक्षणिक, आर्थिक और जागरूकता स्तर को देखते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के क्षेत्र में देश में आदर्श राज्य बनने की क्षमता है ।
अपने संबोधन में उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अपशिष्ट नियमों की पुनः समीक्षा करते हुए सभी श्रेणियों के नियमों जैसे नगरपालिका ठोस कचरा अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट, ई कचरा, जैव चिकित्सा अपशिष्ट, परिसंकटमय और अन्य अपशिष्ट, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट के प्रबंधन सेे सम्बंधित सभी नियमों को हाल ही में संशोधित किया है। उपरोक्त संशोधित नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन से प्रदेश में प्रदूषण नियंत्राण एवं पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा ।
उन्होंने राज्य बोर्ड़ के समन्वय-2021 के आयोजन के प्रयासों की सराहना करते हुए आशा व्यक्त की कि इसके परिणामस्वरूप हमें राज्य में पर्यावरण कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक समन्वित (रोड मैप) विकसित करने में सफलता प्राप्त होगी और इसी प्रकार के परामर्शात्मक प्रयास को क्षेत्राीय/जिला स्तर पर आयोजन करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षण को एक जन आंदोलन के रूप में विकसित करने और इसे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने की आवश्यकता है।
इसके अलावा कार्यशाला में बोर्ड से जुड़े विभिन्न विशेषज्ञों ने अलग-अलग विषयों पर काफी महत्वूर्ण जानकारी दी। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने चौंकाने वाले खुलासे भी किए। हिमाचल प्रदेश को ओडीएफ में देश भर में अग्रणी राज्य होने का गौरव प्राप्त है जबकि यहां अभी भी बहुत से स्थानों पर सीवरेज कनेक्टिवटी नही है। यहां तक कि शिमला शहर में भी अभी कई स्थान ऐसे हैं जिन्हें सीवरेज से नहीं जोड़ा जा सका है।
कार्यशाला में बायो मेडिकल वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट, वाटर पाल्यूशन, बैटरी वेस्ट, ई-वेस्ट, नाइस पाल्यूशन, इंडस्ट्रीयल पाल्यूशन और अन्य तमाम तरह के प्रदूषणों पर विशेषज्ञों ने न केवल अपनी राय रखी बल्कि समाधान के रास्ते भी सुझाए।
कार्रायशाला में प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, जिला प्रशासनिक अधिकारी, शहरी स्थानीय निकाय, उद्योग, होटल और चिकित्सा संघों एवं मीडिया के प्रतिनिधियों ने कार्यशाला में भाग लिया ।
हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड़ के सदस्य सचिव अपूर्व देवगन ने अपने स्वागत भाषण में समन्वय – 2021 कार्यशाला के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि पर्यावरण नियमों में उद्योगों, शहरी स्थानीय निकायों, स्वास्थ्य संस्थानों, जिला प्रशासन, राज्य सरकार एवं प्रदूषण नियंत्राण बोर्ड़ के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व स्पष्ट रेखांकित है। इसलिए सभी हितधाराकोें द्वारा पर्यावरण की गुणवत्ता में वांछित सुधार हासिल करने और पर्यावरण कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समन्वित प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य बोर्ड़ पर्यावरण कानूनों के कार्यान्वयन में कोई ढिलाई नहीं बरतेगा और उल्लंघनकर्ता से नियमों के तहत सख्ती से निपटा जाएगा ।