दीपक प्रोजेक्ट वर्कर्स ने कमांडर कार्यालय के समीप ज्यूरी में किया प्रदर्शन , किया बीस मिनट तक नेशनल हाइवे पर चक्का जाम

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कहा….. पुराने मज़दूरों को निकाल कर अपने चहेतों को दी जा रही है नई भर्ती

विशेषर नेगी

शिमला। दीपक प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन  ने शिमला जिला के ज्यूरी में कुछ मज़दूरों को नौकरी से निकाले जाने पर  आंदोलन शुरू किया है।  मज़दूरों का आरोप है की दीपक प्रोजेक्ट देश के श्रम कानूनों को नहीं मानता है जिस कारण मज़दूर आंदोलन करने पर मज़बूर है।  उन्होंने आरोप लगाया की कमांडर ने वर्षो से सेवाएं दे रहे मज़दूरों की छटनी कर कुछ अपने लोगो को रोजगार दिया है।  सीटू के बैनर तले  धामी, बसंतपुर, नोगली व् ज्यूरी के मज़दूरों ने आंदोलन को तेज किया है।  आज करीब 20 मिंट तक गुस्साए मज़दूरों ने नेशनल हाइवे भी जाम रखा।

मज़दूरों का कहना था मनमाने तरीके से 6 मजदूरों को निकला गया है। इस लिए  विरोध में   कमांडर ऑफिस ज्योरी  के बाहर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है ।   प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए सीटू राज्य उपाध्यक्ष बिहारी सेवगी जिला अध्यक्ष कुलदीप व यूनियन के सचिव प्रेम सिंघानिया व अध्यक्ष प्रेम ने कहा कि दीपक प्रोजेक्ट का प्रबंधन के द्वारा  श्रम कानूनों की खुली उलंघना की जा रही है देश के किसी भी श्रम
कानूनों को लागू नहीं किया जा रहा है।

उन्होने ने कहा कि देश की सत्ता में रहने वाली किसी भी सरकार द्वारा 1962 के बाद अभी तक  दीपक प्रोजेक्ट के  केजुअल पेड़ लेबरर  को कोई कानून नहीं बनाया। यूनियन और दीपक प्रोजेक्ट प्रबंधन के मध्य 2019 को एक लिखित समझौता किया था जिसमें उन्होंने माना था कि मजदूरों को हर माह की 7 तारीख से पहले वेतन दिया
जाएगा जबकि मजदूरों को अभी भी 2-2 महीने तक वेतन नहीं मिल रहा है ,
केजुअल पेड़ लेबरर मजदूरों को भवन एवं अन्य निर्माण परिषद  एक्ट में अभी
भी आधे मजदूरों को नहीं जोड़ा गया जिससे मजदूरों को कल्याण बोर्ड से
मिलने वाले लाभ से वंचित होना पड़ा।

निकाले गए  मज़दूरो ने 20 अक्टूबर तक एक कैलेंडर वर्ष में न्यूनतम 240 दिनों के साथ 3 से 25 साल की निरंतर सेवा पूरी की थी। प्रासंगिक समय पर वे 13070 / – रुपये की मासिक मजदूरी ले रहे थे।  सेवा नियमों, प्राकृतिक नियमों किए पालन किए
बिना और कानून के नियमित समय के पालन के बिना उन्हें सेवा से निकला गया।

प्रेम लाल जिला शिमला केजुअल लेबरर लेबरर यूनियन महा सचिव ने बताया बीआरओ मज़दूरों को श्रम कानूनों की अवेहलना कर निकाला जा  रहा है। मज़दूरों को दो दो महा तक वेतन भी नहीं दिया जा रहा है।  इस के  पूर्व में हुए समझोतो को लागु नहीं किया जा रहा है। इस लिए वे प्रदर्शन कर रहे है। वे तब तक प्रदर्शन करेंगे जब तक उन  मांगे मानी न जाए।