वोकेशनल टीचर्स पिछले 10 सालों से प्रदेश के विभिन्न संस्थानों में दे रहे हैं अपनी सेवाएं
आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। शुक्रवार को वोकेशनल टीचर्स का एक प्रतिनिधि मण्डल राज्य सचिवालय पहुंचा। वोकेशनल टीचर्स राज्य सरकार से एक स्थाई नीति बनाने की मांग कर रहे हैं। वोकेशनल टीचर्स के इस प्रतिनिधिमंडल ने होटल पीटरऑफ में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की और सचिवालय में सीपीएस आशीष बुटेल से भी मिले और अपनी मांग को सरकार के कानों तक पहुंचाने की कोशिश की। इसके अलावा वोकेशनल टीचर्स आज प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर से भी मिलेंगे और अपनी मांगें साझा करेंगे।
वोकेशनल टीचर्स पिछले कई सालों से स्थाई नीति की मांग कर रहे हैं। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद वोकेशनल टीचर्स भी “सुख की सरकार” से आस लगाए सचिवालय पहुंचे। वोकेशनल टीचर्स वैललफेयर संघ के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी का कहना है कि वोकेशनल टीचर्स पिछले 10 सालों से प्रदेश के विभिन्न संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अश्नवी का कहना है कि निजी संस्थान उनका शोषण कर रहे हैं, ऐसे में वे इस शोषण से बाहर निकलना चाहते हैं और अस्थाई नीति की मांग कर रहे हैं। अश्वनी बताते हैं कि वर्ष 2013 से वोकेशनल टीचर्स ने प्रदेश में अपनी सेवाएं देनी शुरू की और प्रदेश के लगभग 1100 शैक्षणिक संस्थानों में सेवाएं दे रहे हैं और आज उन्होंने सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने की कोशिश की है। अश्वनी का कहना है कि वोकेशनल टीचर्स शिक्षण संस्थानों में लगभग वह सभी काम करते हैं जैसे सामान्य टीचर करते हैं। ऐसे में उनके लिए एक अस्थाई नीति बनाई जाए और उन्हें भी रेगुलर टीचर की तरहा वेतन और सम्मान दिया जाए।
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तकरीबन 9 साल से कार्यरत वोकेशनल टीचर सुचिता शर्मा का कहना है कि वोकेशनल टीचर्स को आउट सोर्स मानने से भी इंकार कर दिया जाता है, जबकि वोकेशनल टीचर्स अपने ही राज्य में सरकारी स्कूलों के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं ऐसे में उनकी मांगे जरूर पूरी होनी चाहिए।
सिरमौर में 8 साल से ज्यादा वक्त से वोकेशनल टीचर के पद पर कार्यरत मोनिका ठाकुर कहती हैं कि वोकेशनल टीचर पूरी लगन के साथ स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं। मगर 2013 के बाद से लगातार सिर्फ 15 हजार रुपए प्रति माह पर काम कर रहे हैं। ऐसे में बढ़ती महंगाई के दौर में आज परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए हम अपनी मांगों को लेकर सचिवालय आए हैं और सरकार से हमें स्थाई नीति के अंतर्गत लाने की मांग कर रहे हैं।