भाविता जोशी। सोलन
हिमाचल प्रदेश में 2022 के अंत मे आने वाले विधानसभा चुनाव का ऐलान होने में अभी समय बाकी है। लेकिन सभी राजनीतिक दलों ने मिशन- 2022 के तहत अपने-अपने मोहरे सजाने शुरू कर लिए है। इसी कड़ी में अगर बात करें हिमाचल के विधानसभा क्षेत्र की दून हाट सीट बनी हुई है। यह सीट कई मायनों में अपनी खास जगह रहती है क्योंकि हिमाचल का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र दून विस में ही पड़ता है जहां से हिमाचल प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व एकत्रित होता है।
यूं तो 2012 में दून के यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी जहाँ से चौधरी राम कुमार ने जीत दर्ज की थी और 2017 में इस सीट पर भाजपा के परमजीत सिंह पम्मी ने जीत हासिल की। उसे मोदी लहर कहे या फिर इस क्षेत्र में भाजपा का बढ़ता दबदबा। लेकिन इस बार पिछली बार के मुकाबले समीकरण थोड़े बदले- बदले से नजर आ रहे है।
इस बार दून सीट पर आने वाले समय में मुकाबला बहुत रोचक हो सकता है क्योंकि इंटक प्रदेशाध्यक्ष बबलू पंडित एक बड़े चेहरे के रूप से उभर के सामने आ गए है जोकि आने वाले समय में मौजूदा व पूर्व विधायक के लिए सर दर्द बन सकते है।
बबलू पंडित एक प्रबल दावेदार के रूप में इस सीट से अपना दावा ठोक रहे है और उन्होंने मैदान में एंट्री मार ली है। उनकी नए चेहरे के रूप में दून विस में लोगों के बीच अच्छी पकड़ मानी जा रही है और अपने प्रतिद्वंदियों को कड़ी टक्कर देते दिखाई दे रहे है। वैसे भी दून की जनता मौजूदा व पूर्व विधायक से कुछ खास खुश नजर नहीं आ रही है और नए चेहरे को ताक रही है।
अनुमान इस बात से लगाया जा सकता कि बबलू पंडित का दून क्षेत्र की पंचायतों में फूल-मालाओं से भव्य स्वागत देखने को मिल रहा है और बड़ी मात्रा में युवा उनके साथ जुड़ रहे है। बबलू पंडित के नाम की गूंज दून विस क्षेत्र की हर पंचायत में सुनने को मिल रही है और बदलते समीकरण को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि बबलू पंडित इस बार दून विस से बाज़ी मार सकते है।
अगर बात करें टिकट के दावेदारी की तो यह कहना भी गलत नही होगा कि बबलू पंडित के नाम पर कांग्रेस पार्टी दांव खेल सकती है क्योंकि 2017 में कांग्रेस पार्टी की दून विस से हार का मुंह देखना पड़ा था और अब पार्टी किसी से हालात में यह सीट भाजपा से छीनने के किये पूरा प्रयास करेगी । जिसके चलते वे किसी नए चेहरे को मैदान में ला सकती है।
हालांकि कांग्रेस के पूर्व विधायक राम कुमार चौधरी की टिकट पर संकट के बादल छा सकते है। जिसके लिए वह जोर आजमाइश कर सकते है लेकिन अगर उनका टिकट कट गया तो निश्चित तौर पर पार्टी के लिए बहुत बड़ी मुुुश्किल खड़ी कर सकते है और परिणामों को प्रभावित कर सकते है। यह तो स्थिति पर निर्भर करेगा कि राजनीति किस मोड़ पर किसे ताज पहनाती है। लेकिन यह तय है कि दून विधानसभा सीट पर मुकाबला जोरदार होगा।