आदर्श हिमाचल ब्यूरो
सुजानपुर। अक्सर राजनीति में वादे किए जाते हैं, लेकिन पूरे होने में महीनों, कई बार सालों का समय लग जाता है। जनता सुन-सुनकर थक जाती है और विश्वास टूटने लगता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके लिए वादा सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि जिम्मेदारी होती है। सुजानपुर क्षेत्र में डॉ. सुरेंद्र डोगरा यही भरोसा बनकर उभरे हैं—एक ऐसे जनसेवक, जिनके लिए लोगों की तकलीफें प्राथमिकता हैं और मदद करना उनके स्वभाव का हिस्सा।
मंगलवार की सुबह का एक छोटा-सा दृश्य पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया। डॉ. सुरेंद्र डोगरा एक जगह चाय पीने रुके। वहीं चाय की रेहड़ी लगाने वाली महिला सुदेश ने बहुत संकोच के साथ अपनी परेशानी बताई—कहा कि ठंड बढ़ रही है और उनका पुराना तिरपाल अब फट चुका है, इसलिए उन्हें एक नए तिरपाल की जरूरत है।
सुदेश को यह अंदाजा भी नहीं था कि उनकी ये मामूली-सी लगने वाली जरूरत किसी नेता के दिल पर इतनी जल्दी असर कर जाएगी। डॉ. डोगरा ने उसी क्षण मुस्कुराकर कहा—“तिरपाल आज ही पहुंच जाएगा।”
बहुतों को यह सिर्फ एक वादा लगा, लेकिन डॉ. सुरेंद्र डोगरा के लिए यह एक दायित्व था। और उन्होंने इसे उसी दिन शाम तक पूरा करके दिखा दिया।
शाम को जब तिरपाल सुदेश के पास पहुंचा तो वह भावुक हो उठीं। उनकी आंखों में सिर्फ राहत नहीं, बल्कि विश्वास की चमक भी थी। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद भी नहीं थी कि इतनी जल्दी कोई उनकी मदद करेगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि अधिक से अधिक लोग डॉ. सुरेंद्र डोगरा से जुड़ें, क्योंकि वे सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि जरूरतमंदों के लिए सहारा हैं।
यह घटना सिर्फ एक तिरपाल देने की कहानी नहीं है। यह कहानी है संवेदनशीलता की, ईमानदारी की, और उस जनसेवा की भावना की जो धीरे-धीरे दुर्लभ होती जा रही है। जिस समय राजनीति में बड़े-बड़े वादों के बीच जनता अक्सर खुद को अकेला महसूस करती है, उसी समय डॉ. सुरेंद्र डोगरा जैसे लोग लोगों को यह एहसास दिलाते हैं कि नेता और जनता के बीच का रिश्ता अभी भी इंसानियत और भरोसे पर कायम हो सकता है।
सुदेश ने अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा—
“मुझे लगा था कि बस ऐसे ही कह दिया होगा… पर जब शाम तक तिरपाल मिल गया तो दिल भर आया। ऐसे लोग कम होते हैं। डॉ. डोगरा जी जैसे संवेदनशील और मददगार व्यक्ति का साथ हर किसी को देना चाहिए।
डॉ. सुरेंद्र डोगरा का यह छोटा-सा कदम आज पूरे क्षेत्र में बड़ी मिसाल बन चुका है। यह बता रहा है कि सच्ची राजनीति वही है, जहां एक रेहड़ी लगाने वाली महिला की जरूरत भी उतनी ही महत्वपूर्ण हो जितनी किसी बड़ी समस्या की।
सुजानपुर में लोगों के दिलों में डॉ. डोगरा की पहचान केवल एक नेता की नहीं, बल्कि एक समर्पित जनसेवक की बनती जा रही है—जो वादा करते हैं तो निभाते भी हैं, और जरूरत सुनते ही कदम उठाते हैं।











