आर्थिक सर्वेक्षण: हिमाचल में विकास दर घटी, प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी, बेरोजगारी दर सबसे कम, निर्यात में आगे 

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विधानसभा में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू
विधानसभा में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

शिमला : हिमाचल प्रदेश में कृषि उत्पादन अपेक्षाकृत कम रहने के कारण विकास दर कम हुई है और इस वर्ष 6.4 फीसद रहने की संभावना व्यक्त की गई है। इसके पीछे एक बड़ा कारण ये भी रहा कि मानसून के दौरान रबी और खरीफ की फसलों को आसमान से पानी कम बरसा। पिछले वर्ष विकास दर 7.6 फीसद थी और राज्य की विकास दर का आकलन वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर तय होता है।

 

यदि वर्ष 2021-2022 की तुलना में मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद स्थिर भाव के अनुसार 8143 करोड़ से अधिक रहेगा। विधानसभा में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में प्रदेश की अर्थव्यवस्था में मिलाजुला प्रभाव नजर आएगा। वित्त वर्ष 2021-22 के 126433 करोड़ के सकल घरेलू उत्पाद के अंतिम अनुमानों की तुलना में वर्तमान वित्त वर्ष में स्थिर भावों पर राज्य की जीडीपी 136576 करोड़ रहने की संभावना है।

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प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी

मौजूदा वित्त वर्ष में प्रति व्यक्ति आय 222227 करोड़ रहने का अनुमान है, जोकि पिछले वर्ष 201271 करोड़ के मुकाबले में 10.4 फीसद की वृद्धि को दर्शाता है। एक वर्ष पहले प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर 13.1 फीसद थी। मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 में हिमाचल प्रदेश की अनुमानित प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय से 51607 रुपये अधिक है।

सेवा क्षेत्र में बढ़ते कदम

प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र की तुलना में देखा जाए तो सेवा क्षेत्र में राज्य की सकल मूल्य वर्धन में तेजी से बढ़ती हिस्सेदारी है। इस वर्ष सेवा क्षेत्र में 49527 करोड़ का अनुमान है, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 46370 करोड़ के साथ 6.9 फीसद अधिक दर्शाता है। द्वितीयक क्षेत्र में पिछले साल 56408 करोड़ था और इस वर्ष 60444 करोड़ अनुमानित है। प्राथमिक क्षेत्र में इस वर्ष 16717 करोड़ होगा, जोकि पिछले वर्ष 16395 करोड़ था और इस क्षेत्र में 2 फीसदी की वृद्धि होने की संभावना है।

अखिल भारतीय स्तर पर बेरोजगारी दर सबसे कम

सभी पड़ोसी और अखिल भारतीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी दर सबसे कम 4.0 प्रतिशत है। राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 4.1 फीसद, उत्तराखंड में 7.8 फीसद, पंजाब में 6.4 और हरियाणा में 9.0 फीसद है।

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परिश्रम में हिमाचली महिलाएं अव्वल

प्रदेश की महिलाएं परिश्रम के मामले में देश और पड़ोसी राज्यों में बहुत आगे है। हिमाचली महिलाओं का प्रतिशत 50.5 फीसद सबसे अधिक आया है। जबकि अखिल भारतीय स्तर और पड़ोसी राज्यों की तुलना में अधिक है। खेतों में काम करने से लेकर कार्यालयों में काम करने में भी हिमाचली महिलाओं की भूमिका अधिक है। प्रदेश की महिलाएं आर्थिक गतिविधियों में अधिक सक्रियता से भाग लेती हैं।

 

काम करने में भी हिमाचली अव्वल

अवधिक श्रम बल सर्वेक्षण में सामने आया है कि हिमाचल प्रदेश के लोग श्रम बल में आगे हैं। वर्ष 2021-22 की सर्वे रिपोर्ट अनुसार सभी आयु के श्रम बल में हिमाचल प्रदेश की भागीदारी 58.1 फीसद, उत्तराखंड की 40.8 फीसद, पंजाब की 41.3 फीसद, हरियाणा की 35.4 फीसद और अखिल भारतीय स्तर पर 41.3 फीसद है। इसके अतिरिक्त श्रमिक जनसंख्या अनुपात यानि 15 वर्ष की आयु से अधिक में हिमाचल की स्थिति 55.8, उत्तराखंड 37.6, पंजाब 38.6, हरियाणा 32.3 और अखिल भारतीय स्तर पर 39.6 फीसद है। प्रदेश इस श्रेणी में भी सबसे आगे खड़ा है।

 

निर्यात करने में भी हिमाचल आगे

हिमालयी राज्यों की श्रेणी में 40.43 के स्कोर के साथ हिमाचल दूसरे स्थान पर खड़ा है। इसकी समग्र रैंकिंग 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों और शहरों में 18वीं थीं। ये आकलन निर्यात तत्परता सूचकांक 2021 में हिमाचल प्रदेश को दूसरा मिला है। 7.6 फीसद विद्युत उत्पादन पर हिमाचल का अधिकार

प्रदेश में पांच नदियों में 27436 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन करने की क्षमता है। राज्य की कुल जल विद्युत क्षमता में से अब तक 10519 मेगावाट का दोहन हो चुका है और जिसमें से 7.6 फीसद हिमाचल प्रदेश सरकार के नियंत्रण में है। शेष विद्युत उत्पादन केंद्र सरकार द्वारा दोहन किया जा रहा है।