आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने के आज 365 दिन पूरे हो गए हैं। यह ‘वसुधैव कुटुंबकम‘, ‘One Earth, One Family, One Future’ की भावना को प्रतिबिंबित करने, इसके लिए पुनः प्रतिबद्ध होने और इसे जीवंत बनाने का क्षण है।
जब पिछले वर्ष भारत को यह जिम्मेदारी मिली थी, तब विश्व विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहा था: कोविड-19 महामारी से उबरने का प्रयास, बढ़ते जलवायु खतरे, वित्तीय अस्थिरता और विकासशील देशों में ऋण संकट, जैसी चुनौतियां दुनिया के सामने थीं। इसके अलावा, कमजोर होता मल्टीलैटरलइज्म यानी बहुपक्षवाद इन चुनौतियों को और गंभीर बना रहा था। बढ़ते हुए संघर्ष और प्रतिस्पर्धा के बीच, विभिन्न देशों में परस्पर सहयोग की भावना में कमी आई और इसका प्रभाव वैश्विक प्रगति पर पड़ा।
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जी-20 का अध्यक्ष बनने के बाद, भारत ने दुनिया के सामने जीडीपी-केंद्रित सोच से आगे बढ़कर मानव–केंद्रित प्रगति का विजन प्रस्तुत किया। भारत ने दुनिया को यह याद दिलाने प्रयास किया कि कौन सी चीजें हमें जोड़ती हैं। हमारा फोकस इस बात पर नहीं था कि कौन सी चीजें हमें विभाजित करती हैं। अंततः, भारत के इन प्रयासों का परिणाम आया, वैश्विक संवाद आगे बढ़ा और कुछ देशों के सीमित हितों के ऊपर कई देशों की आकांक्षाओं को महत्व दिया गया। जैसा कि हम जानते हैं, इसके लिए बहुपक्षवाद में मूलभूत सुधार की आवश्यकता थी।
समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई–उन्मुख और निर्णायक – ये चार शब्द जी-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के दृष्टिकोण को परिभाषित करते हैं। नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (एनडीएलडी), जिसे सभी जी-20 सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया है, इन सिद्धांतों पर कार्य करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
समावेश की भावना हमारी अध्यक्षता के केंद्र में रही है। जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ (एयू) को शामिल करने से 55 अफ्रीकी देशों को इस समूह में जगह मिली है, जिससे इसका विस्तार वैश्विक आबादी के 80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इस सक्रिय कदम से वैश्विक चुनौतियों और अवसरों पर जी-20 में विस्तार से बातचीत को बढ़ावा मिला है।
भारत द्वारा अपनी तरह की पहली बैठक ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट’ ने बहुपक्षवाद की एक नई शुरुआत की। इस बैठक के दो संस्करण आयोजित हुए। भारत अंतर्राष्ट्रीय विमर्श में ग्लोबल साउथ के देशों की चिंताओं को मुख्यधारा में लाने में सफल रहा। इससे एक ऐसे युग की शुरुआत हुई है, जहां विकासशील देशों को ग्लोबल नरैटिव की दिशा तय करने का उचित अवसर प्राप्त होगा।
समावेशिता की वजह से ही जी-20 में भारत के घरेलू दृष्टिकोण का भी प्रभाव दिखा। इस आयोजन ने लोक अध्यक्षता का स्वरूप ले लिया, जोकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने की दृष्टि से बिल्कुल सही था। “जनभागीदारी” कार्यक्रमों के माध्यम से, जी-20 1.4 बिलियन नागरिकों तक पहुंचा और इस प्रक्रिया में सभी राज्यों एवं केन्द्र-शासित प्रदेशों (यूटी) को भागीदार के रूप में शामिल किया गया। भारत ने यह सुनिश्चित किया कि मुख्य विषयों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान जी-20 के दायित्वों के अनुरूप विकास के व्यापक लक्ष्यों की ओर हो।
2030 के एजेंडे को ध्यान में रखते हुए भारत ने, सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में तेजी लाने के लिए जी-20 का 2023 एक्शन प्लान पेश किया। इसके लिए भारत ने स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता, पर्यावरणीय स्थिरता सहित परस्पर जुड़े मुद्दों पर एक व्यापक एक्शन ओरिएंटेड दृष्टिकोण अपनाया।
इस प्रगति को संचालित करने वाला एक प्रमुख क्षेत्र मजबूत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) है। इस मामले में आधार, यूपीआई और डिजिलॉकर जैसे डिजिटल इनोवेशन के क्रांतिकारी प्रभाव को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करने वाले भारत ने निर्णायक सिफारिशें दीं। जी-20 के माध्यम से, हमने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी को सफलतापूर्वक पूरा किया जोकि वैश्विक तकनीकी सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।