संपादकीय: लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में दक्षता,  नए भारत की विकास गाथा

लेखिका: सुमिता डावरा, आईएएस, विशेष सचिव
लेखिका: सुमिता डावरा, आईएएस, विशेष सचिवलेखिका: सुमिता डावरा, आईएएस, विशेष सचिव
आदर्श हिमाचल ब्यूरो

 

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शिमला । भारत आज विकास की ऊंची उड़ान भरने को तैयार है। वैश्विक स्तर पर सभी प्रतिस्पर्धियों की तुलना में भारत की लॉजिस्टिक्स संबंधी रेटिंग बेहतर होते जाने के साथ-साथ लॉजिस्टिक्स से जुड़ी इसकी बाधाएं दूर होती जा रही हैं। मैन्यूफैक्चरिंग और व्यापार के क्षेत्र में भारत की वैश्विक स्थिति बुनियादी ढांचे और निर्यात- आयात (एक्जिम) संबंधी लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाने से संबंधित सुधारों के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। बुनियादी ढांचे को अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण विकास इंजन के रूप में पहचानते हुए, प्रधानमंत्री की गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति जैसे सुधारों ने सामानों एवं यात्रियों की आवाजाही के लिए लॉजिस्टिक्स से जुड़े बुनियादी ढां और लॉजिस्टिक्स संबंधी सेवाओं में सुधार पर ध्यान केन्द्रित किया है। और बहुत ही कम समय में, इन सुधारों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं।

 

 

विश्व बैंक ने लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (एलपीआई) से संबंधित 2023 की अपनी रिपोर्ट लॉजिस्टिक्स से जुड़ी उन्नत दक्षता की दिशा में भारत द्वारा की गई प्रगति को स्वीकार कियाहै। विश्व बैंक की यह रिपोर्ट 139 देशों के एलपीआई के बारे में जानकारी साझा करती है और भारत को इस सूचकांक में 38वें स्थान पर रखती है, जोकि 2018 में हमारी रैंक की तुलना में छह स्थान ऊपर है।एलपीआई छह व्यापक मापदंडों पर आधारित ‘गुणात्मक धारणाओं का एक सर्वेक्षण-आधारित परिमाणीकरण’ है, जो सीमा शुल्क, बुनियादी ढांचे, अंतरराष्ट्रीय लदान (शिपमेंट), लॉजिस्टिक्स संबंधी क्षमता एवं लॉजिस्टिक्स से जुड़ी सेवाओं की गुणवत्ता, समयबद्धता, निगरानी एवं जानका जैसे पहलुओं पर विचार करता है।

 

 

विश्व बैंक एक ऐसी उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में भारत का उदाहरण देता है, जिस 2015 से देश के पूर्वी एवं पश्चिमी दोनों तटों पर स्थित बंदरगाहों को सुदूर इलाकों में स्थित आर्थिक केन्द्रों से जोड़ते हुए बुनियादी ढांचे एवं विभिन्न प्रौद्योगिकियों में निवेश किया है। अन्य कारकों के अलावा, इस तरह के निवेश के कारण ही बंदरगाहों पर कंटेनरों के ठहराव के समय के मामले में भारत का प्रदर्शन कई विकसित देशों की तुलना में कहीं बेहतर है। मई से लेकर अक्टूबर 2022 के बीच, भारत में कंटेनरों के ठहराव का समय न्यूनतम 3 दिन था, जबकि संयुक्त अरब अमीरात एवं दक्षिण अफ्रीका के मामले में यह समय 4 दिन, अमेरिका के मामले में 7 दिन और जर्मनी के मामले में 10 दिन था।

 

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विश्व बैंक की यह रिपोर्ट भारत को एक ऐसे देश के रूप में प्रस्तुत करती है, जिसने नेशनल लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक सर्विसेज लिमिटेड (एनएलडीबीएसएल) जैसे डिजिटलीकृत प्लेटफॉर्म के उपयोग के जरिए आपूर्ति श्रृंखला में दृश्यता ला दी है। यह रिपोर्ट बताती है कि लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (एलडीबी) कैसे आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग के उपयोग के जरिए भारत में एक्जिम कंटेनरों की आवाजाही की निगरानी करता है और उसके बारे में सटीक जानकारी रखता है, जिससे माल पाने वाले (कान्साइनी) के लिए अपनी आपूर्ति श्रृंखला की ‘एक छोर से दूसरे छोर तक निगरानी’ (एंड-टू-एंड ट्रैकिंग) करना संभव हो जाता है।

 

 

 

शुरु में, माल की स्थिति का पता लगाने वाले (कार्गो ट्रेसिंग) इस प्रकार के तंत्र का शुभारंभ 2016 में देश के पश्चिमी तट पर किया गया था और आज इस तंत्र के दायरे में सभी प्रमुख बंदरगाह और निजी बंदरगाह आते हैं। भारतीय बंदरगाहों पर कंटेनरों के बेहतर ठहराव समय के लिए इसे श्रेय दिया जाता है। विश्व बैंक की रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए अगर कहें तो “माल की निगरानी (कार्गो ट्रैकिंग) व्यवस्था की शुरुआत के साथ, देश के पूर्वी तट पर स्थित विशाखापत्तनम बंदरगाह पर कंटेनरों के ठहराव का समय 2015 में 32.4 दिन से घटकर 2019 में 5.3 दिन रह गया।” देश के उज्जवल भविष्य के निर्माण में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, भारत सरकार ने आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निगरानी रखने हेतु एक डिजिटल प्रणाली के रूप मेंलॉजिस्टिक्स डेटाबैंक प्रोजेक्ट (एलडीबी) का शुभारंभ किया था। एनएलडीबीएसएल को राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास निगम (एनआईसीडीसी) और निप्पॉन इलेक्ट्रिक कंपनी (एनईसी) लिमिटेड नाम की जापानी कंपनी के बीच एक एसपीवी (विशेष प्रयोजन वाहन) के रूप में संचालित किया जाता है।

 

 

एलडीबी, एक्जिम कंटेनर की आवाजाही के बारे में वास्तविक समय में विस्तृत जानकारी प्रदान करने हेतु आपूर्ति श्रृंखला में कार्यरत विभिन्न एजेंसियों के पास उपलब्ध डिजिटल जानकारी को एकत्रित व व्यवस्थित करता है। यह प्लेटफॉर्म भारत के एक्जिम कंटेन की शत-प्रतिशत मात्रा को संभालता है। इस पर एक मोबाइल ऐप के साथ-साथ एक पोर्टल के जरिए माल पाने वालों (कान्साइनी) के लिए जानकारी पाने की सुविधा उपलब्ध है। इस तरह, एलडीबी दृश्यता प्रदान करता है और भारत के कंटेनरीकृत एक्जिम लॉजिस्टिक्स से संबंधित बिग डेटा एनालिटिक्स को सक्षम बनाता है जुलाई 2016 में अपना कामकाज शुरू करने बाद से, एलडीबी ने 60 मिलियन एक्जिम कंटेनरों की निगरानी की है।

 

भारत के शत-प्रतिशत कंटेनरीकृत एक्जिम कार्गो की निगरानी करने और उनका  पता लगाने हेतु आरएफआईडी, आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) और बिग डेटा एनालिटिक्स से संबंधित प्रौद्योगिकियों के संयोजन के साथ, एलडीबी ने प्रमुख भारतीय बंदरगाहों, सबसे व्यस्त टोल प्लाजा, लगभग 400 कंटेनर फ्रेट स्टेशनों (सीएफएस)/अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आईसीडी) और बंदरगाहों पर खाली यार्ड, विशेष आर्थिक क्षेत्रों और यहां तक कि नेपाल एवं बांग्लादेश की सीमाओं पर स्थित एकीकृत चेक पोस्ट के साथ भी तालमेल बिठाया है। आरएफआईडी से संबंधित आंकड़ों को हासिल करने के उद्देश्य से एसपीवी द्वारा माल ढुलाई के लिए सर्पित गलियारों (डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर) सहित सभी प्रमुख सड़क एवं रेल मार्गों पर लगभग 300 आरएफआईडी रीडर स्थापित किए गए हैं।

 

 

 

 

एलडीबी द्वारा हासिल एवं व्यवस्थित किए गए आंकड़ों का विभिन्न प्रकार से विश्लेषण किया जाता है। इन विश्लेषणों में बंदरगाह पर कंटेनरों के ठहराव के समय की गणना, माल  आवाजाही के क्रम में होने वाले भीड़भाड़ का विश्लेषण, कंटेनर की आवाजाही की गति का विश्लेषण, प्रदर्शन संबंधी मानदंड, आवागमन में लगने वाले समय का विश्लेषण (बंदरगाह से सीएफएस या इसके उलट) आदि शामिल है। ये विश्लेषण मासिक, त्रैमासिक और वार्षिक आधार पर किए जाते हैं और सभी संबंधित मंत्रालयों, बंदरगाह के प्राधिकारियों, टर्मिनल के संचालकों, सीमा – शुल्क से जुड़ी एजेंसियों और अन्य हितधारकों के साथ साझा किए जाते हैं। दूसरी ओर, संबंधित एजेंसियों द्वारा कठिनाई पैदा करने वाले बिंदुओं और सुधार की जरूरत वाले क्षेत्रों की पहचान करने हेतु नियमित विश्लेषणों का उपयोग किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों के एलडीबी के आंकड़ों के विश्लेषण से यह पता चलता है कि कंटेनरों की निकासी मामले में आईसीडी और सीएफएस के प्रदर्शन में सुधार के अलावा कंटेनर को संभालने से जुड़े प्रदर्शन, सड़क मार्ग से गुजरने वाले कंटेनरों की निकासी, प्रमुख राजमार्गों पर कंटेनर की गति के मामले में भी सुधार हुआ है।

 

 

 

दिल्ली-मुंबई मार्ग और मुंद्रा बंदरगाह को जोड़ने वाले मार्ग जैसे प्रमुख राजमार्गों पर कंटेनर की गति भी 2018 की तुलना में बेहतर हुई है आज, एलडीबी ने दक्षता के साथ सीमा पार व्यापार को सुनिश्चित करने हेतु न केवल नेपाल एवं बांग्लादेश की सीमाओं तक अपनी सेवाओं का विस्तार किया है, बल्कि वह भारत के एक्जिम कंटेनरों की आवागमन के दौरान ठहराव वाले पहले अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह तक निगरानी रखने के लिए समुद्री ट्रैकिंग प्रणाली का भी उपयोग करता है। इसके अलावा, हमारे एफटीए को समान अंतरराष्ट्रीय प्रणालियों के साथ एकीकृत करके लाभ उठाने की संभावना तलाशना हमारे आगे  कदमों का हिस्सा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्यात कंटेनर पूरी दक्षता के साथ अंतिम गंतव्य तक पहुंचें और इससे हमारे व्यापार को बढ़ावा मिले।

 

 

 

यह तेज गति से चलने वाले लेन में एक लंबी यात्रा की शुरुआत मात्र है। लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम में सुधार हेतु भारत द्वारा नवीन डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग हमारी गति मेंऔर तेजी लाएगा तथा सोने पर सुहागा की स्थिति बनाते हुए अगले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर हमारी लॉजिस्टिक्स रैंकिंग को भी बेहतर करेगा। यह गति निश्चित रूप से 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के हमारे महत्वाकांक्षी लक्ष्य को साकार करने में मदद करेगी।