आदर्श हिमाचल ब्यूरो
हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने जारी एक प्रेस वक्तव्य के माध्यम से निदेशक उच्च शिक्षा द्वारा मुख्याध्यापकों तथा प्रवक्ताओं की प्रधानाचार्य पदोन्नति के 50: 50 के कोटे के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास आने वाले विधानसभा चुनाव में सरकार के लिए महंगा साबित होगा l
चौहान ने कहा के 2018 के बाद 2021 में 3 वर्ष बाद निदेशक महोदय ने दोनों वर्गों के पदोन्नति कोटा जो कि 50:50 निर्धारित किया गया है , के साथ बदलाव कर एक वर्ग को फायदा देने का जो प्रयास किया जा रहा है उससे सरकार की मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं l एक तरफ जहां 6000 लोग इसके समर्थन में होगे वही 50000 शिक्षक इसके विरोध में खड़े हो जाएंगे क्योंकि यहां पर बात मुख्याध्यापकों की नहीं है बल्कि वास्तव में फीडिंग केडर टीजीटी तथा पदोन्नत प्रवक्ता वर्ग है जिनकी संख्या 25000 से अधिक है इससे अतिरिक्त जेबीटी एवं सीएंडबी टीचर्स भी टीजीटी पदोन्नत होने के बाद इसी माध्यम से मुख्याध्यापक तक पहुंचते हैं।
इसलिए इन सब को मिला लिया जाए तो मुख्याध्यापक से प्रधानाचार्य के पद तक पहुंचने वाले शिक्षकों का काडर 50,000 से अधिक बनता है जबकि दूसरी तरफ प्रवक्ताओं से प्रधानाचार्य बनने वाला वर्ग 6000 से 8000 है इसलिए यह कहना कि एक तरफ 900 मुख्याध्यापक है और दूसरी तरफ 6000 प्रवक्ता है तर्कसंगत नहीं है l
इस आधार पर प्रधानाचार्य पदोन्नति के 50:50 के कोटे के साथ छेड़खानी करना तर्कसंगत नहीं हैl संघ ने आरोप लगाया कि निदेशक महोदय मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं और गलत तथ्य देकर औपचारिकता मात्र दो संगठनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ जैसे बड़े संगठनों को नजरअंदाज कर वर्षों से निर्धारित पदोन्नति कोटे में बदलाव का प्रयास कर रहे हैं जोकि किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होगा l
चौहान ने कहा की स्कूल प्रवक्ता संघ के अधिवेशन में उनकी मांग पर मुख्यमंत्री ने कहां था के बाकी वर्गो और संघों के साथ बात कर सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए प्रवक्ता वर्ग के कोटे में वृद्धि पर विचार करेंगे l लेकिन बाद में जब अध्यापक संघों ने मुख्यमंत्री के समक्ष वस्तुस्थिति रखी जिसमें 50,000 शिक्षकों के मुख्याध्यापक के कोटे के साथ जुड़े होने की पुष्टि हुई तो ये बात वही खत्म हो गई थी। अब ना जाने निदेशक महोदय को क्या याद आई कि फिर से 3 साल बाद यह राग लगाना शुरू कर दिया l जिससे सरकार को 2022 के चुनाव में सीधा-सीधा 50000 शिक्षकों और उनके परिवारों की नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ेगा l इससे सिद्ध होता है कि शिक्षा निदेशक सरकार के मिशन रिपीट के काम में आग में घी डालने जैसा काम कर रहे हैंl
संघ मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री से मांग करता है कि इस तरह के विवादित मुद्दों के साथ कोई बदलाव ना करें संघ यह भी एलान करता है कि किसी भी तरह के बदलाव होने पर हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ अन्य शिक्षक संघो के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोलेगा जिसमें सरकार का घेराव किया जाएगा और जिला बार धरने दिए जाएंगे।