प्राकृतिक खेती पर हो रहे शोध कार्य के मिल रहे उत्साहवर्धक नतीजे

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। प्राकृतिक खेती के प्रभावों को लेकर विभिन्न संस्थानों की ओर से किए जा रहे शोधकार्यों के अंतरिम परिणामों में उत्साहवर्धक परिणाम देखने को मिले हैं। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्राकृतिक खेती की प्रासंगिकता को लेकर विभिन्न एजेंसियों को शोध के लिए प्रोजेक्ट्स दिए गए थे। औद्यानिकी एवं वानिकी यूनिवर्सिटी नौणी, चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय और सीएसआईआर इमटेक की ओर से किए जा रहे शोधकार्य में अभी तक मिले परिणामों की समीक्षा के लिए बुधवार को एक बैठक का आयोजन किया गया।

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक हेमिस नेगी की अध्यक्षता में हुई इस समीक्षा बैठक में सभी संस्थानों के वैज्ञानिकों ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से शोधकार्यों के नतीजों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। नौणी यूनिवर्सिटी में प्राकृतिक खेती पर शोधकार्य कर रहे डॉ. सुभाष वर्मा और डॉ. उषा शर्मा ने बताया कि प्राकृतिक खेती विधि में अन्य खेती विधियों की तुलना में बेहतर परिणाम मिले हैं। उन्होंने बताया कि इस खेती विधि में फसल विविधता के कारण मुनाफा बढ़ा है। साथ ही उत्पादन भी अन्य विधियों के बराबर ही आंका गया है। वैज्ञानिकों ने बताया कि साल दर साल प्राकृतिक खेती विधि में लेबर कम हो रही है, मिट्टी की गुणवत्ता में बढ़ोतरी हो रही है और फल व फसलों की बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ रही है।

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वैज्ञानिकों ने बताया कि प्राकृतिक खेती विधि से उगी हुई फसलें खराब मौसम और विकट परिस्थितियों में भी बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के राज्य परियोजना निदेशक हेमिस नेगी ने कहा कि यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों की ओर से प्राकृतिक खेती विधि में किए गए शोधों के नतीजे बेहद सकारात्मक हैं। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार प्राकृतिक खेती विधि किसानों के लिए लाभदायक है और इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों ने शोधकार्य के दौरान और जिन पैकेज ऑफ प्रैक्टिसिज को अपनाया है, उन्हें किसानों तक पहुंचाया जाएगा ताकि किसान भी उन्हें अपनाकर और अच्छे परिणाम पा सकें।