हटाए गए कार्यकारी एमएस लोकेंद्र शर्मा बोले, देश की और हिमाचल की गाईडलाइन्स अलग-अलग, उठाए उच्च अधिकारियों पर सवाल

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डीडीयू से हटाए गए कार्यकारी एमएस लोकेंद्र शर्मा पत्रकारों से बातचीत करते हुए
डीडीयू से हटाए गए कार्यकारी एमएस लोकेंद्र शर्मा पत्रकारों से बातचीत करते हुए

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। डीडीयू में महिला की आत्महत् के बाद हटाए गए कार्यकारी एमएस लोकेंद्र शर्मा ने अब अपने ही व्यवस्थाओं को लेकर अपने ही उच्च अधिकारियों पर सवालिया निशान उठा दिए हैं। साथ ही यह भी कहा कि कोरोना को लेकर देश की और हिमाचल की गाईडलाईन्स में अलग-अलग हैं। शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए डीडीयू से हटाए कार्यकारी एमएस डॉक्टर लोकेंद्र शर्मा  ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों पर कई तरह के सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वे हर तरह की जाचं के लिए तैयार हैं।

लोकेंद्र शर्मा ने कहा कि कोरोना काल के शुरू होने के बाद से ही अस्पताल में स्टाफ की कमी रही, जिसे सम समय पर पत्र लिखकर अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य आर डी धीमान को बताया जाता रहा। लेकिन सब कुछ पता होने के बावजूद कोई कारईवाई अमल में नहीं लाई गई। उन्हें कहा गया था कि तीस डाक्टर और 91 स्टाफ नर्स यहां तैनात की जाएंगी लेकिन आज तक कोई स्टाफ यहां नही लगाया गया। उल्टा कोविड काल में तबादलों पर मुख्यमंत्री के प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद यहां से डाकटरों के तबादले कर दिए गए। एक डाक्टर क केएनएस, दूसरे को किसी पीएचसी और एक अन्य कर प्रमोट कर टांडा भेज दिया गया। इसके बावजूद यहा के स्टाफ ने दिन-रात काम कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में कार्यरत सारे स्टाफ ने कम से कम पंद्रह से बीस बार अपना कोविड का टेस्ट करवा चुका है। ऐसी बातों से सारे स्टाफ का मनोबल गिरता है।

लोकेंद्र शर्मा ने कहा कि जिस अस्पताल में कोरोना के कारण आज तक एक भी मौत नहीं हुई है, वहांकिसी महिला की आत्महत्या का मामला दुखद है। उन्होंने कहा कि जिस महिला ने आत्महत्या की, वो असिम्टोमेटिक थी, यानी उसमें कोराना के कोई लक्षण नहीं थे। तब सारे डाक्टर्स का ध्यान लक्षण वाले मरीजों की तरफ था। अब जब महिला ने आत्महत्या की तो उसका सारा कसूर प्रबंधन और डॉक्टरों पर डाला जा रहा है। जांच में मालूम हुआ है कि यह महिला मानसिक रोगी थी। हालांकि, कोविड का इलाज सही तरीके से चला हुआ था, लेकिन अचानक ये फैसला महिला ने क्यों लिया, इसका पता तो जांच में ही सामने आएगा। जिस तरीके से स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी व जिला प्रशासन के लोग अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ कर प्रबंधन को कसूरवार ठहरा रहे हैं, वह गलत है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टरों का मनोबल गिर रहा है।

लोकेंद्र शर्मा ने कहा कि घटना वाली रात उन्होंने उपायुक्त शिमला को पांच बार फोन किया, पर उन्होंने फोन नहीं उठाया जबकि एसीएस हेल्थ को भी पांच से सात बार फोन किया गया, और उन्होंने भी फोन नहीं उठाया। सरकार ने पहले शिमला और किन्नौर के मरीजों के लिए व्यवस्था रखने को कहा था, लेकिन उसके बाद सिरमौर और सोलन के मरीजों को भी यहां भेजा गया।