पिता—–डॉ एम डी सिंह
जिसकी उंगलियां पकड़ हम खड़े हुए
जिसके कंधों पर चढ़ हम बड़े हुए
जिसके सपनों के हम घड़े हुए
उस गृहसंसार के परम ब्रह्म
पिता को शत शत नमन
जिसके प्राणों के उपवन में
जिसकी इच्छाओं के घन वन में
होके अमलतास के फूल खिले हम
उस शतदल हरित छांव सघनतम
पिता को शत-शत नमन
हम जिस कंठ के स्वर हुए
हम जिस चेतसमृग के पर हुए
हम जिस आत्मप्रकाश के घर हुए
जिसकी तपोभूमि पर खड़े हैं हम उस
अडिग तपस्वी पिता को शत शत नमन
डॉ एम डी सिंह