आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। सभी तरह की उत्पादन प्रौद्योगिकियां अक्सर बाधित जल आपूर्ति के दर्द को महसूस कर रही हैं। बढ़ी हुई नियामक आवश्यकताओं, पानी की गुणवत्ता में बदलाव या बढ़ती जल आपूर्ति लागत इसकी वजह हो सकती हैं। बिजली संयंत्रों पर पानी से संबंधित बढ़ते दबाव को देखते हुए एक संयंत्र अपने पानी और वेस्ट वाटर को आंतरिक रूप से कैसे प्रबंधित करता है इसकी स्पष्ट समझ संयंत्र संचालकों के लिए अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है।
बिजली संयंत्र में पानी का उपयोग कैसे किया जाता है इसका सक्रिय प्रबंधन पानी की खपत को कम करने के अलावा और भी बहुत कुछ कर सकता है। यह परिचालन लागत को भी कम कर सकता है और भविष्य के लिए संयंत्र की योजना बनाने में मदद कर सकता है। प्रीट्रीटमेंट सिस्टम में वेस्ट वाटर, स्ट्रेनर, फिल्टर बैकवाश वॉटर, डीवाटरिंग उपकरण फ़िल्टर और अन्य संयंत्र स्रोतों में ट्रैकिंग सक्षम करने के लिए उसका मूल्यांकन किया जाता है। बात अगर अदाणी समूह की करें तो इनका सभी व्यवसायों में जल प्रबंधन सबसे रणनीतिक संरक्षण उपायों में से एक रहा है।
यहां ये सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है कि मीठे पानी के स्रोतों पर निर्भरता न्यूनतम हो, जो व्यवसाय संचालन, समुदायों और पर्यावरण के हित में है। अदाणी पोर्ट्स और एसईजेड लिमिटेड ने प्रमुख बंदरगाहों पर वेस्ट वाटर मैनेजमेंट प्रणाली स्थापित की है और अब तक 650 मिलियन लीटर का ट्रीटमेंट और पुन: उपयोग किया जाता है। ये प्रणाली आस-पास की सामुदायिक परिषदों के पानी को भी साफ करती हैं। इतना ही नहीं, माइनिंग वॉशरी में 100% पानी रिसाइकल किया जाता है।

इसके अतिरिक्त सभी प्रमुख सोलर और विंड एनर्जी प्लांट और बंदरगाहों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा अदाणी फाउंडेशन के तहत पीने के साफ पानी की आवश्यकता और सिंचाई को पूरा करने के लिए भारत के 18 से ज्यादा राज्यों में जल संरक्षण परियोजनाएं चलती है। अब तक जल संरक्षण परियोजनाएं 17,000 एकड़ से ज्यादा भूमि के 20,000 से अधिक किसानों तक पहुंच चुकी हैं। हम आपको ये बता दें कि एक बार जब वाटर बैलेंसिंग सिस्टम विकसित हो जाता है और पूरे प्लांट में प्रदूषण के कारक को बड़े पैमाने पर ट्रैक किया जाता है।
