फीचर: जानिए पोलन एलर्जी है या फ़ीवर, ये हैं लक्षण

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

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शिमला। पोलन एलर्जी यानि हे फ़ीवर (hay fever) होने का सबसे आम कारक है, फूलों से उत्पन्न होने वाला पराग। यह पीले रंग का बारीक पाउडर, पौधों को उपजाऊ बनाता है। पराग या पोलन हवा, पक्षियों, कीड़ों या दूसरे जानवरों के माध्यम से फैलता है। ये पराग हर जगह पाया जाता है इसलिए, पोलन एलर्जी दुनिया की सबसे आम एलर्जी में से एक है। इसके साथ ही, दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति को पोलन एलर्जी होती है।

 

इस एलर्जी का मुख्य कारण पेड़, खरपतवार और घास से निकलने वाले पराग हैं। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि एक बार अगर किसी को पोलन एलर्जी हो जाए तो इसके वापस जाने की संभावना बहुत ही कम है, लेकिन इलाज और दवाओं की मदद से इन लक्षणों का इलाज किया जा सकता है।

 

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पोलन एलर्जी बढ़ाने वाले मुख्य कारक……

एलर्जिक प्रतिक्रियाएं ज़्यादातर पराग, पेड़ों, खरपतवारों और घास से आते हैं। पालतू जानवरों की पेशाब, लार या रूसी में ऐसे कुछ प्रोटीन पाए जाते हैं जिनसे एलर्जी हो सकती है। इसके अलावा पोलन एलर्जी मौसमी बदलावों के कारण भी हो सकती है, जैसे से की इस मौसम में, क्योंकि फूलों में पराग की संख्या इस वक़्त ज्यादा पायी जाती है। पोलन की संख्या वसंत के मौसम में सबसे ज़्यादा होती है।

ये हैं पोलन एलर्जी के लक्षण……

नाक बंद होना
छींक आना
नाक बहना
गले में ख़राश
आंखों में जलन

पोलन एलर्जी से कैसे बचा जा सकता है…….

बदलते मौसम या बसंत और गर्मियों में घर से बाहर कम से कम निकलें। अगर आप ज्यादा देर के लिए बाहर गए हैं तो घर लौटकर अपने कपड़े बदलें, नहाएं और शैंपू से बाल धोएं। पोलन के मौसम में खिड़कियां बंद रखें, अपने कपड़े बाहर सुखाने के बजाय ड्रायर में सुखाना भी एक विकल्‍प हो सकता है। ऐसे कोई भी लक्षण सामने आने पर चिकित्सीय सलाह ज़रूर लें।