रूस के यूक्रेन पर लगातार हो रहे हमलों के बीच तिब्बत की आजादी का मुद्दा भी सुलगने लगा है इस विषय को लेकर यूक्रेन पर हुए हमलों को देखते हुए निर्वासित तिब्बती सरकार के राष्ट्रपति पैंपा त्सेरिंग ने कहा कि कि तिब्बत पर चीन ने जबरन कब्जा कर लिया है और अब समय आ गया है कि अमेरिका तिब्बत देश की आजादी के लिए चीन पर दबाव बनाए काबिलेगौर है कि तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा बीते 60 सालों से अपने तिब्बती लोगों के साथ भारत में निर्वासन का जीवन व्यतीत कर रहे हैं धर्मशाला के मैक्लोडगंज में निर्वासित तिब्बती सरकार भी फल-फूल रही है।
वही तिब्बतियों का मानना है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने तिब्बत पर चीन के कब्जे के घावों को और ताजा कर दिया है तिब्बत कभी एक स्वतंत्र देश था, इसका प्रमाण भी तिब्बत की निर्वासित सरकार ने दुनिया के सामने रखा है, जबकि चीन बार-बार यही बात दोहराता रहा है कि तिब्बत चीन का हिस्सा है लेकिन सच्चाई यह है कि चीन ने जबरन तिब्बत पर अपना कब्जा किया और इस दौरान कई तिब्बती भी अपनी जान से हाथ धो बैठे वही तिब्बत की आजादी को लेकर आज भी तिब्बती संघर्ष कर रहे है।
पिछले साल दिसंबर 2021 में अमेरिका ने विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी उजड़ा जेया को तिब्बत का विशेष समन्वयक नियुक्त किया था, जिस पर चीन ने इस नियुक्ति को अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताया था चीन, अमेरिका की इस प्रतिक्रिया पर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटनी ब्लिंकेन ने तिब्बत के मुद्दे पर चीन की पीड़ा पर हाथ रखते हुए कहा कि जिया को चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन से लड़ने के लिए तिब्बत की धार्मिक, सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को संरक्षित करना चाहिए अमेरिका इस प्रयास का नेतृत्व करेगा इस बयान से चीन और भी भड़क गया।