जॉर्ज एंटोनियो का विशेष व्याख्यान बना विश्व पर्यटन सप्ताह का मुख्य आकर्षण

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

धर्मशाला| केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश में विश्व पर्यटन दिवस 2025 के उपलक्ष्य में पर्यटन, यात्रा एवं आतिथ्य प्रबंधन विद्यालय द्वारा सप्ताह भर चलने वाले समारोह का आयोजन किया गया। कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल के मार्गदर्शन में हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन के साथ हुई, इस समारोह में ग्रीक पुरातत्वविद् जॉर्ज एंटोनियो के ऐतिहासिक व्याख्यान ने विशेष आकर्षण का केंद्र बना। एंटोनियो ने अपने शोध के माध्यम से पुर्तगाल के अल्टर डू चाओ नगर में खोजे गए एक दुर्लभ रोमन मोज़ेक पर प्रकाश डाला, जिसमें सिकंदर महान और भारतीय सम्राट परमानंद चंद (पोरस) के बीच हुए ऐतिहासिक हाइडेस्पेस युद्ध का दृश्य अंकित है। यह मोज़ेक ‘हाउस ऑफ मेडुसा’ में पाया गया और इसे सिकंदर महान को दर्शाने वाले तीन प्रामाणिक रोमन मोज़ाइकों में एक माना जाता है। एंटोनियो ने इसे ग्रीस, पुर्तगाल और हिमाचल प्रदेश के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कड़ियों का प्रतीक बताया है।

इस दौरान कार्यक्रम की अध्यक्षता अधिष्ठाता भाषा प्रो. रोशन लाल ने की, उन्होंने मोज़ेक के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक पहचान और गौरव को रेखांकित करते हुए छात्रों से इसे सांस्कृतिक कूटनीति और पर्यटन का माध्यम मानने का आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित महाराजा त्रिगर्त ऐश्वर्य कटोच ने हिमाचल की सांस्कृतिक धरोहर और कटोच वंश की ऐतिहासिक परंपरा पर प्रकाश डाला, उन्होंने तीर्थाटन से आधुनिक पर्यटन तक की यात्रा को रोजगार और आर्थिक वृद्धि का इंजन बताया तथा पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। प्रख्यात इतिहासकार अरुणेश गोस्वामी ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि सिकंदर और पोरस का युद्ध केवल सैन्य संघर्ष नहीं, बल्कि भारतीय आत्मगौरव और सांस्कृतिक संवाद का प्रतीक है।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रों व संकाय सदस्यों ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जलाशयों की स्वच्छता अभियान चलाया, जो “केवल हरे पदचिह्न छोड़ने” की पहल की ओर एक ठोस कदम था। आगामी सप्ताह में विरासत यात्रा, जिम्मेदार पर्यटन, कचरा प्रबंधन और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली जैसे विषयों पर आधारित गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय ने पुनः अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि वह ऐसे पेशेवर तैयार करेगा जो न केवल शैक्षणिक रूप से दक्ष हों, बल्कि सामाजिक रूप से उत्तरदायी और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील भी हों। विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित यह सप्ताह विकसित भारत 2047 और वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में एक मजबूत सांस्कृतिक और शैक्षणिक हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है।