अच्छी नींद, अच्छा जीवन: नींद को बनाएं अपनी प्राथमिकता” – डॉ. पूनम वर्मा,

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

बिलासपुर ।‘मेक स्लीप हेल्थ प्रायोरिटी’ यानी “नींद के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें” – यही इस वर्ष के विश्व नींद दिवस 2025 का मुख्य संदेश है। अच्छी नींद हमारे मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का आधार है। लेकिन बदलती जीवनशैली, तनाव और डिजिटल उपकरणों के बढ़ते उपयोग के कारण लोग पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद नहीं ले पा रहे हैं।

 

 

हमारी नींद मुख्य रूप से दो चरणों में बंटी होती है – नॉन रैपिड आई मूवमेंट और रैपिड आई मूवमेंट । नॉन रैपिड आई मोवमेंट नींद में तीन चरण होते हैं, जिसमें मांसपेशियां आराम करती हैं, शरीर की मरम्मत होती है और ऊर्जा संचित होती है। यह हमारी याददाश्त, प्रतिरक्षा प्रणाली और शरीर के विकास के लिए आवश्यक है। इस दौरान हृदय गति और श्वसन धीमा हो जाता है, जिससे हृदय और रक्तचाप को स्थिर रखने में मदद मिलती है। रैपिड आई मोवमेंट नींद (सपनों और मस्तिष्क की सक्रियता की अवस्था), यह स्मृति, रचनात्मकता और भावनात्मक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है। इस नींद में आंखें तेजी से हिलती हैं, और यह मस्तिष्क के लिए रीसेट बटन की तरह काम करती है। एक संपूर्ण नींद चक्र लगभग 90 मिनट का होता है, और एक रात में ऐसे 4-6 चक्र आते हैं।

 

 

अगर हम पर्याप्त नींद नहीं लेते (उदाहरण: 6 घंटे से कम नींद), तो आपकी रेम नींद प्रभावित होती है, जिससे कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं । जिनमें शामिल हैं: 1.हृदय रोग: खराब नींद से रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। २. मधुमेह: अनियमित नींद इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकती है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज़ का खतरा बढ़ता है। ३. मोटापा : नींद की कमी से भूख बढ़ाने वाले हार्मोन (घ्रेलिन) का स्तर बढ़ता है और तृप्ति हार्मोन (लेप्टिन) का स्तर घटता है, जिससे अधिक खाने की प्रवृत्ति विकसित होती है। ४. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: अवसाद, चिंता, एकाग्रता में कमी और चिड़चिड़ापन जैसी मानसिक समस्याएं नींद की कमी से जुड़ी होती हैं। ५. इम्यूनिटी में गिरावट: कम नींद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देती है, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

 

 

 

खराब नींद के कारण 1. ब्लू लाइट का प्रभाव: मोबाइल, लैपटॉप और टीवी जैसे डिजिटल उपकरणों से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को बाधित करती है, जो नींद के लिए आवश्यक होता है। देर रात तक स्क्रीन देखने से नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है और नींद आने में देरी होती है। २. कैफीन का सेवन: कॉफी, चाय, एनर्जी ड्रिंक्स और सोडा में मौजूद कैफीन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है, जिससे नींद प्रभावित होती है। विशेष रूप से, सोने से 4-6 घंटे पहले कैफीन का सेवन नींद की गुणवत्ता को कम कर सकता है। ३. भारी भोजन: सोने से पहले बहुत अधिक या वसायुक्त भोजन करने से पेट भारी महसूस होता है, जिससे एसिडिटी और अपच की समस्या हो सकती है। इससे गहरी और शांतिपूर्ण नींद प्रभावित होती है। ४. अनियमित दिनचर्या: रात में देर तक जागना और सुबह देर से उठना शरीर की आंतरिक घड़ी (सर्केडियन रिदम) को बाधित करता है, जिससे नींद की समस्या होती है। ५. तनाव और मानसिक दबाव: परीक्षा का तनाव, ऑफिस वर्कलोड, व्यक्तिगत समस्याएं और अत्यधिक चिंता नींद की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं

नींद विकार भी एक बढ़ती समस्या है । आजकल कई लोग नींद विकारों से पीड़ित हैं, जिनमें प्रमुख हैं: 1. अनिद्रा– लगातार नींद न आना या बीच में बार-बार नींद टूटना। २. स्लीप एपनिया – नींद के दौरान सांस रुकने से बार-बार जागना । ३. नार्कोलेप्सी– दिन में अत्यधिक नींद आना। ४. रेस्टलेस लेग सिंड्रोम – पैरों में बेचैनी, जिससे नींद प्रभावित होती है।

 

 

अच्छी नींद के लिए सुझाव: 1. सोने और जागने का नियमित समय तय करें। २. सोने से 1 घंटे पहले मोबाइल और लैपटॉप का उपयोग न करें। क्योंकी इसकी ब्लू लाइट से मेलाटोनिन नामक हर्मोने प्रभावित होता है । यह हॉर्मोन हमें अछि नीं लाने मई सहायक होता है । ३. सोने से ४ घंटे पहले कैफीन और भारी भोजन से बचें। ४. नींद के लिए अनुकूल वातावरण बनाएं – शांत, अंधेरा और ठंडा कमरा रखें। ५ बिस्तर केवल सोने के लिए इस्तेमाल करें और बिस्तर पर बैठकर काम करने या मोबाइल चलाने से बचें। ६ दिनभर में पर्याप्त शारीरिक व्यायाम करें, लेकिन सोने के २ घंटे पहले अत्यधिक वर्कआउट करने से बचें। ७. बिस्तर पर जाने से पहले हल्का व्यायाम, योग और ध्यान करें, जिससे मानसिक शांति बनी रहे। ८ दिनभर में अत्यधिक मानसिक दबाव से बचें और सकारात्मक सोच अपनाएं। जरूरत पड़ने पर किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें।

 

 

नींद केवल आराम का समय नहीं, बल्कि शरीर और दिमाग की मरम्मत और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया है। यदि हम नींद को प्राथमिकता नहीं देंगे, तो हमारी कार्यक्षमता, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन सभी प्रभावित होंगे। इस विश्व नींद दिवस पर संकल्प लें – “नींद को प्राथमिकता देंगे और एक स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ेंगे!”
“स्वस्थ नींद, स्वस्थ स्वास्थ्य, स्वस्थ भविष्य!”