आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज राजभवन में प्रतिष्ठित साहित्यिक कृति ‘हिंदी का गद्य साहित्य’ के 16वें संस्करण का विधिवत विमोचन किया। यह महत्वपूर्ण पुस्तक प्रख्यात विद्वान, आलोचक और गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय आचार्य रामचंद्र तिवारी द्वारा रचित है। इस संस्करण को उनके पुत्र डॉ. प्रेमव्रत तिवारी द्वारा संशोधित और विस्तारित रूप में प्रस्तुत किया गया है।
इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि यह पुस्तक हिंदी गद्य साहित्य के इतिहास का प्रामाणिक संदर्भ ग्रंथ है, जो अपने गहन शोध, विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और सुसंगत आलोचना के लिए साहित्य जगत में विशेष स्थान रखती है। इसका प्रथम संस्करण वर्ष 1955 में प्रकाशित हुआ था और अब 16वां संस्करण साहित्य के विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और अध्यापकों के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि आचार्य तिवारी और यह पुस्तक एक-दूसरे के अविभाज्य प्रतीक हैं और इसे “हिंदी गद्य का खजाना” कहा जा सकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारतेंदु हरिश्चंद्र से लेकर फणीश्वर नाथ रेणु तक के गद्य लेखकों का गंभीर आलोचनात्मक मूल्यांकन इस कृति में समाहित है।
इसी तरह विशिष्ट अतिथि प्रो. चित्तरंजन मिश्रा, पूर्व प्रो-वाइस चांसलर, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा ने कहा कि यह पुस्तक हिंदी गद्य का विशाल भंडार है। उन्होंने आचार्य तिवारी की आलोचना-दृष्टि को बाहरी प्रभावों से मुक्त और साहित्यिक चिंतन की साधना का परिणाम बताया। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के निदेशक प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा कि आचार्य तिवारी का योगदान हिंदी साहित्य जगत में अमूल्य धरोहर के रूप में सदैव स्मरणीय रहेगा, और यह कृति शोधकर्ताओं और साहित्य प्रेमियों दोनों के लिए अत्यंत उपयोगी है। बता दें कि इस अवसर पर डॉ. धर्मव्रत तिवारी ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया, समारोह में राज्यपाल के सचिव सी.पी. वर्मा, प्रतिष्ठित साहित्यकारों तथा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के विद्वानों की उपस्थिति रही है।