राजनीतिक उपेक्षा का शिकार बना ग्वालपुर स्कूल, शिक्षकों की नियुक्ति लंबित

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आदर्श हिमाचल ब्यूरों

करसोग। मंडी जिले की करसोग तहसील के ग्वालपुर पंचायत स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ग्वालपुर में शिक्षकों की भारी कमी के चलते विद्यार्थियों का भविष्य संकट में पड़ गया है। वर्ष 1990 में स्थापित इस विद्यालय में वर्तमान समय में केवल तीन अध्यापक कार्यरत हैं, जबकि कक्षा 6 से 12वीं तक की पढ़ाई संचालित हो रही है। शेष रिक्त पदों को स्थानीय ग्रामीणों द्वारा निजी शिक्षक नियुक्त कर अस्थायी रूप से पूरा किया जा रहा है।

इस दौरान विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) के अध्यक्ष ज्ञान चंद ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बीते तीन वर्षों से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर को कई बार ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं। बावजूद इसके न तो शिक्षकों की नियुक्ति की गई, न ही ट्रांसफर के बाद रिक्त हुए पदों को भरा गया।

इस स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता भूषण मेहता ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह विद्यालय राजनीतिक द्वेष का शिकार हो चुका है। बीते तीन वर्षों में चार शिक्षकों का तबादला कर दिया गया, लेकिन उनकी जगह किसी की नियुक्ति नहीं की गई। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा “व्यवस्था परिवर्तन” के नाम पर विद्यालय को प्राथमिकता सूची से बाहर कर दिया गया है और यहां नए पदों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है। ग्रामीणों और अभिभावकों में इस मुद्दे को लेकर भारी नाराज़गी है। उनका कहना है कि सरकार की अनदेखी के कारण उन्हें अपने ही गांव के स्कूल को बंद करने की नौबत आ रही है। अभिभावकों का कहना है कि यह क्षेत्र पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा है और स्कूल में शिक्षकों की कमी ने बच्चों के भविष्य को अंधकारमय बना दिया है।

इस दौरान भूषण मेहता ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र समाधान नहीं निकाला गया, तो ग्रामीण विद्यालय में ताला लगाकर अनिश्चितकालीन बंद का रास्ता अपनाएंगे और सचिवालय का घेराव करने के लिए बाध्य होंगे। उन्होंने मांग की कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से संज्ञान ले और शीघ्र शिक्षकों की नियुक्ति कर बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाए।