हमीरपुर : गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकाॅर्ड में अपना नाम दर्ज करने वाले हमीरपुर जिला के सितार वादक शिक्षक राजकुमार का आज उनके पैतृक गांव डबरेहड़ा में पहुंचने पर भव्य स्वागत हुआ. ग्रामीणों और परिजनों ने ढोल-नगाड़ों के साथ सितार वादक राजकुमार का स्वागत किया. बता दें कि कोविड माहमारी के दौरान भी सितार वादक राजकुमार ने कला को बढ़ावा दिया है, जिसके चलते ही वह आज वर्ल्ड रिकाॅर्ड बना पाए है. राजकुमार अपने सफलता का श्रेय परिवार और शिक्षकों को दिया है. उनका कहना है कि सितार वादन उनका एक सपना था जोकि आज पूरा हुआ है. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में रूचि होने के चलते ही आज वह वर्ल्ड रिकाॅर्ड बना पाए हैं. उन्होंने कहा कि परिवार का भी सपना पूरा हुआ है, जिससे पूरा परिवार भी बहुत खुश है.
राजकुमार ने बताया कि उन्हें बचपन से ही स्टेज पर गाना गाने का शौक था और काॅलेज में उन्होंने इसका प्रशिक्षण लिया. जिसके बाद उन्होंने हमीरपुर डिग्री काॅलेज में सितार वादन का प्रशिक्षण लिया और 1996 में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी वह गोल्ड मैडलिस्ट रहे, उन्होंने नई दिल्ली में भी नए9 मंच पर भी मंचन किया, जिससे उनके संगीत के करियर को और बढ़ावा मिला.
गौरतलब है कि हमीरपुर जिले के छोटे से गांव लंबलू डबरेहड़ा के रहने वाले संगीत शिक्षक राजकुमार ने सितार वादन में विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है. उन्होंने 32 घंटे 34 मिनट सितार बजाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है. इससे पूर्व केरल के राधाकृष्णन मनोहरन ने अक्तूबर, 2017 में 29 घंटे 8 मिनट तक सितार बजाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुकें है. राजकुमार दिल्ली के राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय सैक्टर-19 द्वारका में बतौर संगीत शिक्षक सेवान्वृत हैं. राजकुमार ने 23 अगस्त को सुबह 8 बजे स्कूल के सभागार में सितार बजाना शुरू किया था. जिसमें उनका उत्साहवर्द्धन खुद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने किया था.
राजकुमार ने अपने गांव में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्मारक राजकीय डिग्री कॉलेज हमीरपुर से 1996 में संगीत विषय में स्नातक की डिग्री हासिल की और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और एमफिल तक की पढ़ाई पूरी की है. राजकुमार के पिता भगत राम गांव में ही दिहाड़ी-मजदूरी काम करते हैं. राजकुमार बताते हैं की उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च खुद उठाने के लिए दिल्ली में पार्ट टाइम म्यूजिक शो किए और कठिन परिस्थितियों और माली आर्थिक हालत में उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की. फिलहाल राजकुमार अपनी पत्नी सुषमा और 2 बच्चों के साथ दिल्ली में रहते हैं. उनकी बेटी अनुष्का भारद्वाज बीएससी कर रही है जबकि बेटा अनुभव भारद्वाज संगीत का प्रशिक्षण ले रहा है.
राजकुमार के पिता भगत राम अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए बताते हैं कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि उनके बेटे ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज करवाया है. उनकी माता सत्या देवी ने बताया कि अपने बेटे की इस उपलब्धि पर उन्हें बहुत गर्व है, उनका कहना है कि उनके बेटे ने पूरे हिमाचल में उनका नाम रोशन किया है. राजकुमार के भाई जगत प्रकाश ने कहा कि पिता ने दिहाड़ी-मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण किया है और भाई ने इतना बड़ा मुकाम हासिल किया है जिससे पूरे परिवार का नाम रोशन हुआ है.