शिमला: विश्व भर में मछली को भोजन के रूप में बेहद पसंद किया जाता है और इसमें मीठे पानी में पाए जाने वाली ट्राउट फिश का एक अपना ही अलग स्थान है। यह ट्राउट फिश विशेष तौर पर ठंडे क्षेत्रों में मीठे पानी में पाई जाती है और बात करें हिमाचल की तो यहां पर भी ट्राउट फिश पाई जाती है। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश का मत्सय विभाग भी राज्य में मच्छली उत्पादन को बड़े पैमाने पर बिकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है और इस लिए प्रदेश मत्स्य पालन विभाग चालू वित्त वर्ष में डेनमार्क से उच्च गुणबत्ता वाली साल्मो फारिओ और मैकिस प्रजाति की 8 लाख रेनबो ट्राऊट मच्छली के आइड ओवा सीड्स आयात करेगा ताकि राज्य में मच्छली पालन और उत्पादन बढ़ाकर देश में पोषणयुक्त भोजन की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके।
राज्य सरकार मच्छली उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए ढांचागत सुविधाएं करेगी विकसित: वीरेन्द्र कंवर
राज्य के मत्सय पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों के दौरान 15 लाख उच्च प्रजाति के ट्राऊट के आइड ओवा बीज डेनमार्क से आयात किये हैं ताकि किसानों को ज्यादा उत्पादन करने वाली मच्छली प्रजाति प्रदान की जा सके जिससे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिकी सुदृढ़ की जा सके। उन्होंने बताया कि 3 लाख रेनबो ट्राऊट आइड ओवा की पहली खेप प्रदेश में 10 फरवरी 2020 को पहुंची थी। जिसे सफलतापूर्वक जलाशयों में पैदा किया गया। राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में 18 लाख विकसित प्रजाति (15 लाख रेनबो ट्राऊट और 3 लाख ब्राऊन ट्राऊट) के मच्छली के आइड ओवा बीज डेनमार्क से आयात किये।
इसके अलावा राज्य सरकार ने वर्ष 2019-20 में 10 लाख रेनबो ट्राऊट आईड ओवा (बीज) आयात किए जबकि वर्ष 2020-21 में 5 लाख रेनबो ट्राऊट और तीन लाख ब्राऊन ट्राऊट आईड ओवा आयात किए। इन विकसित प्रजाति के बीजों को कुल्लू जिला के हामनी व वायाहार ट्राऊट फार्म, मण्डी जिला के बरोट ट्राऊट फार्म, चम्बा जिला के थाला ट्राऊट फार्म, शिमला जिला के घामबारी ट्राऊट फार्म एक किन्नौर जिला के सांगला ट्राऊट फार्म में पाला जा रहा है। इन आयतित आईड ओवा को फिंगरलिंग स्टेज तक विभागीय मच्छली फार्म में विकसित किया जाता है। जिसके बाद इन्हें किसानों को पालने के लिए बाँट दिया जाता है।
राज्य के मत्सय पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि इस आयतित प्रजाति की वजह से विभाग कोलडैम में टेबल साईज ट्राऊट मच्छली महज़ 8 महीने में विकसित करने में सफल रहा है जबकि पारंपरिक तरीके से अभी तक टेबल साईज़ मच्छली विकसित होने में एक साल का समय लगता है।
इस आयतित मछली के आइड ओवा से राज्य में अगले पांच सालों में बार्षिक 1200 टन मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है जबकि इस समय राज्य में बार्षिक 700 टन मछली उत्पादन रिकॉर्ड किया जाता है
वीरेंद्र कंवर ने बताया कि मत्सय पालन विभाग ने वर्ष 2018-2019 में पहली बार गोविन्द सागर झील में पिंजड़ों में ट्राऊट मच्छली उत्पादन में सफलता हासिल की।
उन्होंने बताया कि विभाग ने वर्ष 2020-2021 के दौरान गोविंद सागर झील में 72 लाख रुपये मूल्य की 8 टन ट्राऊट मच्छली का सफलतापूर्वक उत्पादन किया राज्य सरकार मच्छली उत्पादन को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए ढांचागत सुविधाएं विकसित करने को प्राथमिकता प्रदान कर रही है तथा राज्य सरकार ने हैचरी तालाब विकास, ट्राऊट इकाईयों की स्थापना के लिए वर्ष 2017-2018 से वर्ष 2020-21 तक लगभग 90 करोड़ रुपये खर्च किये।
राज्य के जलाश्यों में ट्राऊट मच्छली के उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं तथा सरकार अपने संसाधनों को अधिकतम सदुपयोग सुनिश्चित करके राज्य में नीली क्रांति कर आगाज़ करेगी। राज्य सरकार युवाओं को ट्राऊट मच्छली उत्पादन के प्रति जागरूक एवं शिक्षित कर रही है तथा उत्पाद की मार्किटिंग सुविधा प्रदान कर रही है।
ट्राउट मच्छली उत्पादन राज्य के बर्फीले क्षेत्रों के किसानों के लिए लाभप्रद व्यवसाय के रुप में उभर रहा है इस समय 600 ट्राउट उत्पादकों द्वारा राज्य में 1200 ट्राउट मच्छली इकाईयां स्थापित की गईं /निजी क्षेत्र में स्थापित हैचरियां राज्य में लगभग एक हज़ार लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध करवा रही है तथा वार्षिक 30 करोड़ रुपये की आर्थिक गतिविधियां सृजत कर रही है।
राज्य में विदेशी एंगलरज को आकर्षित करने के लिए कुल्लू, मण्डी, किन्नौर, शिमला तथा चम्बा ज़िलों में एंगलिंग हट स्थापित किए गए हैं तथा मत्सय पालन विभाग एंगलिंग प्रतियोगिता का नियमित आयोजन कर रहा है, राज्य में पिछले तीन वर्षों में 10,000 एंगलरज ने एंगलिंग गतिविधियों में हिस्सा लिया। इस वर्ष राज्य में 632 मीट्रिक टन ट्राउट मच्छली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य के मत्स्य पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि राज्य में मच्छली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्रों को केन्द्रीय प्रायोजित परियोजनाओं के अंर्तगत अनेक प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2017-18 में निजी क्षेत्र में 15 ट्राउट हैचरी, वर्ष 2018-19 में कुल 12 ट्राउट हैचरी स्थापित की गई निजी क्षेत्र में अब तक राज्य में कुल 32 ट्राउट हैचरी स्थापित की गईं हैं जिनमें से कुल्लु(9), मण्डी(9), कांगड़ा(2), चम्बा(5), शिमला(2), किन्नौर(3), सिरमौर(2) हैचरियां लगभग 875 लाख रुपये की लागत से स्थापित की गई हैं ताकि राज्य में ट्राउट मछली के ओवा ( अण्डों ) की मांग को पूरा किया जा सके।