शिमला: शिमला में पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों के अभिभावक अब प्रशासन का दरवाजा खटखटा रहे हैं, कारण राज्य सरकार का स्कूलों को दुबारा खोले जाने का फैसला. इस पर अभिभावक राज्य सरकार को पुनर्विचार करने की मांग कर रहे हैं. बता दें कि दूसरे दिन तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत रही.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं के स्कूलों को फिर से खोलने पर अपनी असहमति दर्ज कराने के लिए शुक्रवार को कई अभिभावक छात्र अभिभावक मंच के बैनर तले डीसी के कोर्ट पहुंचे. हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गुरुवार को छठी से बारहवीं कक्षा के केवल 65 प्रतिशत छात्र ही शामिल हुए. राज्य ने उसी दिन 21 छात्रों सहित 138 नए कोविड -19 मामले दर्ज किए.
विरोध कर रहें अभिभावकों का कहना है कि, बड़े बच्चों को स्कूल बुलाना ठीक है, लेकिन छोटे बच्चों को स्कूल बुलाने का निर्णय सही नहीं है. राज्य में स्कूल फिर से खुलने के बाद जिस तरह से शिक्षक और छात्र कोविड से संक्रमित हो रहे हैं, उससे छोटे बच्चों में संक्रमण का खतरा अधिक होने की संभावना है. बड़े बच्चे कोरोना के नियमों का पालन कर सकते हैं, लेकिन छोटे बच्चों को संभालना मुश्किल है. राज्य में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं और हम राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत नहीं करते हैं.
अभिभावकों ने आगे कहा कि छात्र साल भर से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं और सभी तरह की तैयारी ऑनलाइन की जा रही है. साल के आखिरी महीने में नियमित कक्षाओं के लिए छात्रों को स्कूल बुलाना सही फैसला नहीं है. छात्रों को स्कूल की निर्धारित दुकानों से स्कूल यूनिफॉर्म और जूते खरीदने होंगे. इस फैसले का अभिभावकों ने भी विरोध किया है.
राज्य में अब तक कोविड -19 के लगभग 2 लाख 25 हजार मामले दर्ज किए गए हैं. 97.79% की रिकवरी दर के साथ राज्य में सक्रिय कोविड मामलों की संख्या 1161 है.