हिमाचल में बेरोजगारों का आंकड़ा हुआ 14 लाख के पार, नहीं जाग रही हैं प्रदेश सरकार -जोगटा

0
5

आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। हिमाचल प्रदेश में बाकी विकास  कार्यों को धत्ता दिखाकर  जहां प्रदेश सरकार विकास की बड़ी-बड़ी डींगे हांकने का निरंतर असफल प्रयास कर रही है।वहीं  धरातल में 60 हजार करोड़ कर्जा होने की एवज में सरकार की दशा और दिशा इसके बिल्कुल विपरीत है।  आज जब कि बेरोजगारी एक अभिशाप बनती जा रही है।प्रदेश के पढ़े  लिखे बेरोजगार युवकों का आंकड़ा 14 से 15 लाख के बीच में हो रहा है। अभी जो पढ़ लिख रहे हैं वह इसके इलावा है। इतने छोटे से प्रदेश में बेरोजगारी का यह आलम अपने आप में  एक बहुत बड़ी बात है।

आज के संदर्भ में अगर यही सिलसिला चलता रहा तो बेरोजगार युवा कैसे अपना गुजर बसर करेंगे?जिस कारण वो कहीं न कहीं नशे की गिरफ्त में भी  अपने आप को जकड़ने को मजबुर ही रहे। इतना ही नहीं अभी हाल में ही करोना काल के दौरान  700 के आसपास बेरोजगार युवकों ने आत्महत्या तक कर ली। जिसकी जिम्मेवारी सिर्फ प्रदेश सरकार की बनती है। लेकिन सरकार इस सिलसिले में उनके मां बाप तक अपनी सांत्वना देने तक की औपचारिकता नहीं निभा पाई।

इन बेरोजगार युवकों की पढ़ाई लिखाई के लिए उनके माता पिता ने लाखों रुपए का खर्चा करके यहां तक की बैंकों से बहुत बड़ी ब्याज दर पर एजुकेशन लोन लेकर  अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा करके इस लायक बनाया था कि वह अपनी योग्यता के हिसाब से अपने अपने क्षेत्र में रोजगार पा सके तथा अपने मां बाप के बुढ़ापे का सहारा भी बन सके। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा कुछ नहीं हो रहा है।

सरकार की तरफ से इस एवज में जो घोषणाएं चुनाव के दिनों में की गई थी वह आज तक जस की तस धरी की धरी है। जब की सरकार के पास कई विकल्प के रहते जेसे कि  प्रदेश के सारे सरकारी विभागों में जो पद   हजारों पूर्व कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के कारण  खाली हुए हैं वह भी नहीं भरे गए हैं। जब की ऐसे पदों की संख्या भी लाखों में है। बल्कि इसके विपरीत सरकार ने  सिर्फ और सिर्फ अपने चहेते ठेकेदारों की मार्फत अपने चहते लोगों को 5000- 7000 रुपयों में उन बेरोजगार बच्चों को लगाया गया है जिनका भविष्य उन ठेकेदारों के चंगुल तक ही सीमित रहने को मजबूर हो गया है।

यदि सरकार विभागों में खाली पदों को भी अगर  भरें और यहां तक कि हजारों पद करुणामूलक आधार पर कर्मचारियों के आश्रितों को भी अगर सरकार रोजगार देती है। साथ में आज के संदर्भ में विभागों में जो काम कई गुना बढ़ गया है उसको देखते हुए भी हजारों हजारों पद सृजित किए होते। तथा इसके उपरांत प्रदेश के बड़े-बड़े उद्योगों में प्रदेश के बच्चों को रोजगार दिलवाया होता तो  काफी हद तक सुधार की गुंजाइश रहती। जबकि बड़े बड़े उद्योगों के प्रबंधको द्वारा हिमाचल के बच्चों को  ज्यादा तवज्जो ना देकर भारत के दूसरे राज्यों से युवकों को भर्ती पर जोर रखा हुआ है। इसमें कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार की  भी बो आती नजर आ रही है।

इतना ही नहीं हिमाचल प्रदेश सरकार ने बेरोजगार युवाओं को ठगने के लिए कौशल विकास निगम की स्थापना की है। जिसके तहत बेरोजगार युवाओं को उनकी आर्थिकी को देखकर बेरोजगारी भत्ते का नाकाम जाल बुन रखा है जिसके तहत रोजगार युवाओं को skilled or uskilled/handicapped जैसे युवाओं को हजार से 1000-1500 के बीच में बेरोजगारी भत्ते का 2 साल के लिए प्रावधान किया है और यह प्रावधान सिर्फ 35 साल की उम्र  से नीचे नीचे तक ही सीमित है।जब की बहुत सारे बचे जो  अभी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे है।वह उक्त भत्तों से मेहरूम हो जाएंगे।

उक्त बेरोजगारी भत्ता देने के लिए उन बेरोजगारों को  ज्यादा तवज्जो दी जाती है जिन्होंने कहीं ना कहीं साइंस स्ट्रीम में अपनी शैक्षणिक योग्यता बरकरार रखी है। अच्छी बात है लेकिन  ऐसे संदर्भ में कहीं न कहीं एक तरह की समानता और एकरूपता तो होनी  ही चाहिए?क्योंकि ऐसे बेरोजगारों को इससे भी महरूम रहना पड़ता है जो उक्त औपचारिकता को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

 आम आदमी पार्टी  का मानना है कि उक्त बेरोजगारी भत्ता ना काफी होते हुए  इसे  जिस तरीके से वितरित भी  किया जा रहा है, उदाहरण के तौर पर बेरोजगारों को इसे प्राप्त करने के लिए भी  बहुत सारी औपचारिकता से गुजरना पड़ता है।
     जिसके तहत ज्यादातर रोजगार पढ़े-लिखे युवा इससे भी महरुम रहने को मजबुर हो जाते हैं। इसलिए सरकार से अनुरोध है कि समय रहते बेरोजगारी भत्ते को कम से कम 5000 से 10000 के बीच में किया जाए। और तमाम वर्ग इसमें शामिल किए जाएं।जब तक  इन बेरोजगारों को किसी तरह का रोजगार नहीं मिल जाता तब तक उक्त ब बड़ा हुआ भता दिया जाता रहे।ताकि वह ज्यादा देर अपने मां बाप के ऊपर निर्भर न रहकर  कम से कम अपना जेब  खर्चा खुद बहन कर सकें। इतना ही नहीं जो बहुत सारी औपचारिकताएं निभाने को पड़ी है उनका भी सरकार   सरलीकरण करें। ताकि बेरोजगारों को फिलहाल किसी तरह की असुविधा का सामना ना करना पड़े।
 प्रदेश आम आदमी पार्टी जयराम सरकार को उनके चुनावी दिनों की याद दिलाना चाहती हैं कि अन्य मुद्दों के इलावा बेरोजगारी के ऊपर जो फोकस  केंद्रित जय राम  ने किया था वह आज कहीं से भी दिखता नजर नहीं आ रहा है।
       प्रदेश आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता एसएस जोगटा ने शिमला से जारी एक प्रेस बयान में प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री से फिर पूछा है कि उनकी सरकार उनके किए हुए वादों के विपरीत हर फ्रंट पर पिछडती  नजर आ रही जिसका खामियाजा उनको 2022 के चुनाव में निश्चित रूप से भुगतना पड़ेगा। जोगटा ने आगे कहा की 2022 में आम आदमी पार्टी सत्ता में आते ही प्रदेश की ज्वलंत समस्याओं को अमलीजामा पहनाने के इलावा पार्टी के  लिए बेरोजगारी  एक एहम मुद्दा रहेगा।जिसका निराकरण किया जाएगा। इसका जिक्र  पार्टी पहले भी कई बार पार्टी कर चुकी है।