सिरमौर: सिरमौर सहित प्रदेश भर में चल रही एच आर टी सी पीस मील कर्मियों की हड़ताल दसवे दिन में प्रवेश कर गई है. हालांकि मुख्यमंत्री सहित परिवहन मंत्री ने भी 1 सप्ताह के भीतर सभी पीस मिल कर्मियों को कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी में लेने का आश्वासन दे दिया है. बावजूद इसके ऑर्डर आने तक हड़ताल जारी रखने का पक्का मन बनाया हुआ है. जिला सिरमौर पथ परिवहन निगम के बेड़े में शामिल 121 बसों का रूटीन चेकअप काफी ज्यादा प्रभावित होने भी लग पड़ा है. हालांकि अधिकारियों के द्वारा रेगुलर स्टाफ को ओवरटाइम का आश्वासन देकर अतिरिक्त कार्य लिया जा रहा है. मगर अभी तक रेगुलर कर्मियों को भी ओवरटाइम के लिखित आदेश नहीं थमाए गए हैं. बड़ी बात तो यह है कि जो रेगुलर स्टाफ रूट पर जाने वाली बसों की मेंटेनेंस देख रहे हैं वह भी एक्स्ट्रा वर्क की वजह से तनाव महसूस कर रहे हैं. जिसके चलते गाड़ियों का सही समय पर चलने का रूट भी प्रभावित हो रहा है.
एचआरटीसी के अधिकारी भारी परेशानी के बावजूद भी सब कुछ सही बता रहे हैं. बावजूद इसके जो हालात नजर आ रहे हैं वह सही नहीं है. यहां यह भी जानना जरूरी है कि एचआरटीसी की बसों में सवारिया बैठती है ना की सामान ढोया जाता है. ऐसे में जो रूटीन चेकअप बारीकी से पीस मिल कर्मी किया करते थे वह नहीं हो पा रहा है. अब यदि कोई बड़ी दुर्घटना घट जाती है तो ना केवल विभाग बल्कि सरकार भी सवालों के कटघरे में खड़ी हो जाएगी. बता दें कि जिला सिरमौर में एचआरटीसी की कुल बसे 121 है. 54 रूटों पर बस नियमित रूप से चल रही है. मौजूदा समय 4 रूट स्टाफ की कमी के कारण बंद भी पड़े हैं. जिनमें लॉन्ग रूट में हारसी पत्तन विकास नगर, देहरादून अमृतसर बस सेवा केवल चंडीगढ़ तक ही जा पा रही है. इसी प्रकार लोकल रूट में नाहन चाकली, मातर भेड़ों रुट भी बंद पड़ा है.
कैसे होता है बस का निरीक्षण
प्राप्त जानकारी के अनुसार बस चालक के द्वारा बस में आने वाली तकनीकी खामियों के बारे में वर्कशॉप में रिपोर्ट दी जाती है. जिसके बाद वर्क्स मैनेजर के आदेश बाद बस के डिफेक्ट चेक किए जाते हैं. सारे डिफेक्ट चेक करने के बाद हेड मैकेनिक द्वारा फिटनेस जारी की जाती है. उसके बाद ही बस को रूट पर भेजा जाता है. एचआरटीसी वर्कशॉप में तमाम गाड़ियों की पासिंग भी की जाती है. बता दें कि बिना पासिंग के कोई भी बस या वाहन सड़क पर नहीं चलाया जा सकता है. किसी भी बस को बारीकी से रूट पर भेजने से पहले जनरल चेकिंग के लिए पीस मिल कर्मियों का मुख्य रोल होता है. बस में किस जगह कौन सी दिक्कत आ रही है उसको खोज कर हेड मैकेनिक को बताना होता है. ऐसे में जो हड़ताल वाली स्थिति चली हुई है उसमें हर बस की कितनी गहनता से जांच हो रही है इसको लेकर कुछ सवाल भी खड़े हो जाते हैं.
उधर पीस मील कर्मी लगातार हड़ताल पर बैठे हैं. इन सभी कर्मियों का यह कहना भी जायज है कि जब पहले 400 से अधिक कर्मियों को कांटेक्ट पॉलिसी में लाया जा चुका है. तो बाकी कर्मियों के लिए दोहरे मापदंड क्यों.
बरहाल एचआरटीसी की बसों की हालत दिन प्रतिदिन जुगाड़ू होती जा रही है. ऐसे में लोगों की जान से यदि कोई जोखिम हो जाता है तो सरकार के सामने बड़ी परेशानी भी खड़ी हो सकती है.
वर्क मैनेजर रामदयाल का कहना है कि हमारे पास 45 रेगुलर मैकेनिकल स्टाफ है. थोड़ी परेशानी तो हो रही है मगर हर बस को पूरी तरह से चेक करने के बाद ही रोड पर भेजा जाता है. जिला में कहीं पर भी किसी भी बस का कोई ब्रेकडाउन नहीं हुआ है. कुछ टाइमिंग में दो-चार मिनट की देरी जरूर हो रही है. बावजूद इसके फिलहाल कार्य प्रभावित नहीं हो रहा है.