सरकार ने किया नज़रअंदाज़ तो किसानों-बागवानों ने दिखाई ताकत, जानिए क्या है किसान-बागवान की प्रमुख मांगे

शिमला :

  •  प्रदेशभर में सेब और सब्ज़ी के उचित और न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर हुए धरना-प्रदर्शन
  •  सरकार नहीं मानी तो किसान आन्दोलन होगा तेज- डॉ. तँवर
  •  5 हज़ार करोड़ की अर्थव्यवस्था पर सरकार की नीतियों ने लगाया ग्रहण – डॉ. ओंकार शाद
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संयुक्त किसान मंच की अनदेखी पर किसान संगठनों ने सरकार के लिए अपनी आस्तीनें चढ़ाते हुए 13 सितम्बर को प्रदेश भर में धरना-प्रदर्शन किए. प्रदेशभर में सेब उत्पादक खण्ड, तहसील और उपमण्डल स्तर पर एकत्र हुए और अपना रोष प्रकट किया.

शिमला में विभिन्न संगठनों ने मिलकर शेर-ए-पंजाब से जुलूस निकालते हुए उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन किया और उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के लिए ज्ञापन सौंपा. मंच के घटक सदस्य हिमाचल किसान सभा के महासचिव डॉ. ओंकार शाद ने कहा कि प्रदेश की सरकार पूंजीपतियों के साथ सांठ-गांठ करके किसानों को लूटने का काम कर रही है.

डॉ. शाद ने कहा कि एपीएमसी भी किसानों के हक बचाने में नाकाम है. सरकार की किसान-बागवान विरोधी नीतियों की वजह से प्रदेश की 5 हज़ार करोड़ की सेब की आर्थिकी को ग्रहण लग गया है. सरकार की नीतियों की मार सबसे ज्यादा मार छोटे बागवानों पर पड़ रही है.

डॉ. ओंकार शाद ने कहा कि लगत मूल्य कई गुणा हो चुका है. दवाई, खाद, यातायात, भण्डारण, पैकेजिंग हर चीज़ के दाम बढ़ चुके हैं. खाद में नौ गुणा और दवाइयों में 20 गुणा तक की मूल्यवृद्धि हो चुकी है. डॉ. शाद ने सरकार से मांग की है कि वह बागवान को बचाने का काम करे न कि उजाड़ने का.

वहीं हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तँवर ने कहा कि भाजपा हमेशा एक देश एक विधान का राग तो अलापती है मगर किसानों-बागवानों को समर्थन मूल्य देने में भेदभाव करती है. डॉ. तँवर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पिछले दो सालों से 60 रुपये, 44 रुपये और 24 रुपये के हिसाब से मण्डी मध्यस्थता योजना के तहत सेब की सरकारी खरीद हो रही है जबकि हिमाचल में सरकार सिर्फ कल्ड सब ही खरीदती है जिसकी कीमत साढ़े नौ रुपये है.

लेकिन अफसोस की बात यह कि यह पैसा भी सरकार बागवानों को समय पर नहीं देती. डॉ. तँवर ने कहा कि सब्ज़ी उत्पादक भी इसी तरह से खस्ता हालत में हैं हर साल एक न एक सब्ज़ी का शून्य दाम मिलता है. टमाटर, गोभी, शिमला मिर्च, बीन में कई बार इतना कम मूल्य मिलता है जिससे मण्डी तक पहुंचाने का खर्च भी पूरा नहीं पड़ता. डॉ. तँवर ने कहा कि बात-बात पर केरल से अपनी तुलना करने वाली हिमाचल सरकार को ज्ञात होना चाहिए कि केरल ने फल-सब्ज़ी के अपने 30 उत्पादों के लिए न्यूनतम खरीद मूल्य निर्धारित किया है जिसका लाभ यह हुआ है कि केरल के किसान का उत्पाद अब मण्डी में भी अच्छे दामों में बिक रहा है. आढ़तियों को मजबूर होकर किसानों को सही दाम देना पड़ रहा है.

सभा को जय किसान आन्दोलन के सचिव चमन राकेश आज़्टा ने भी सम्बोधित किया.

प्रदर्शन में हिमाचल किसान सभा के राज्य कोषाध्यक्ष सत्यवान पुण्डीर, गोविन्द चतरान्टा, कृष्णानन्द, जयशिव ठाकुर, सुरेश, डॉ. रीना सिंह, सीमा चैहान, हिमी देवी, अनिल ठाकुर, गुलाब सिंह नेगी, अनिल पंवर, जगमोहन ठाकुर, सुनील वशिष्ठ, डॉ. विजय कौशल, पवन शर्मा, बलबीर पराशर सहित किसानों ने भाग लिया.

मुख्य मांगें

  •  सभी फसलों के लिए समथ्रन मूल्य घोषित करो
  •  कश्मीर की तज़ पर मएडी मध्यस्थता योजना के तहत ए, बी, सी, ग्रेड के सेब का मूल्य घोषित करो
  •  एपीएमसी कानून को सख्ती से लागेू करो और किसानों के उत्पाद की बिक्री का पैसा उसी दिन सुनिश्चित करवाओ.
  •  आढ़तियों के पास फंसे बागवानों के पैसे का भुगतान करवाओ.
  •  अडानी सहित सभी सरए स्टोर में निर्माण के समय की शर्तों के अनुसार बागवानों को 25 प्रतिशत सेब रखने का प्रावधान सुनिश्चित करवाओ.
  •  किसान सहकारी समितियों को सीए सटोर बनाने के लिए सरकार 90 प्रतिशत अनुदान दे.
  •  सेब, अन्य फलों व फूलों की पैकेजिंग में इस्तेमाल किए जा रहे कार्टन व ट्रे की कीमतों की वृद्धि को वापिस लो.
  •  सूखा, ओलावृष्टि, बरसात व बर्फ से बर्बाद हुई फसलों के लिए सरकार मुआवज़ा दे.
  •  सेब व अन्य फसलों को वज़न के हिसाब से खरीदने के लिए मण्डियों को आदेश किए जाएं.
  •  एचपीएमसीऔर हिमफेड द्वारा गत वर्षों में खरीदे गए सेब का भुगतान तुरन्त किया जाए.
  •  खाद, बीज, दवाइयों, कीटनाशक, फफूंदनाशक पर सब्सिडी को बहाल किया जाए
  •  कृषि उपकरणों और हेलनेट की बकाया सब्सिडी तुरन्त दी जाए.