अमृतसर:
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज अमृतसर का दो दिवसीय दौरा शुरू किया, जहाँ उन्होंने आज पहले दिन गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी में महान धार्मिक शख्सियत संत प्रेम सिंह मुराले वाले जी की याद में स्थापित की गई चेयर समेत कई प्रोजैक्ट लोगों को समर्पित किए. मुख्यमंत्री कल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यहाँ होने वाले राज्य स्तरीय समागमों का नेतृत्व करेंगे.
गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी के कैंपस में पहुँचने के अवसर पर मुख्यमंत्री ने संत प्रेम सिंह मुराले वाले जी को समर्पित चेयर का उद्घाटन किया. यह चेयर महान धार्मिक शख्सियत और प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री की याद में स्थापित की गई है और मौजूदा वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार ने एक करोड़ रुपए का योगदान दिया गया है. इस चेयर की प्रमुख एक प्रोफ़ैसर और उनके साथ तीन अनुसंधान सहायक भी होंगे.
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने 6.10 करोड़ रुपए की लागत वाले स्कूल आफ एजूकेशन, 2.45 करोड़ रुपए की लागत वाले जन संचार विभाग, 3.30 करोड़ रुपए की लागत से बने होटल मैनेजमेंट और पर्यटन का उद्घाटन किया. इसी तरह 3.50 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले गोल्डन जुबली सैंटर फॉर एंटरप्रेन्योरशिप एंड इनोवेशन और 1.60 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली शूटिंग रेंज का नींव पत्थर भी रखा.
मुख्यमंत्री ने उम्मीद ज़ाहिर की यह प्रोजैक्ट गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी को मुल्क की उच्च दर्जे की यूनिवर्सिटियों में अपना स्थान और मज़बूत करने में सहायक सिद्ध होंगे. उन्होंने कहा कि संत प्रेम सिंह मुराले वाले को समर्पित चेयर महान संत शख्सियत के जीवन और दर्शन पर गहरे अनुसंधान करने के लिए विद्वानों और खोजार्थियों की मदद करेगी. संत जी ने औपचारिक तौर पर शिक्षा के प्रसार को अमल में लाने का नेतृत्व उस समय किया, जिस समय पर शिक्षा को महत्वपूर्ण नहीं माना जाता था. उन्होंने भरोसा ज़ाहिर किया कि इस चेयर द्वारा अनुसंधान यूनिवर्सिटी की पुस्तकालय तक ही महदूद नहीं रहेगी, बल्कि इनको किताबों के तौर पर प्रकाशित किया जाएगा, जिससे दुनिया को संत जी के योगदान और बलिदानों संबंधी अवगत करवाया जा सके.
कैबिनेट मंत्री तृप्त बाजवा द्वारा फंड की कमी सम्बन्धी ज़ाहिर की गई चिंता के जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसी अनुसंधान के लिए ग्रांट में वृद्धि की जाएगी. बाजवा ने अपनी शुरुआती टिप्पणी में अफ़सोस जताया कि यूनिवर्सिटियों में स्थापित की जाने वाली चेयजऱ् फंड की कमी के कारण ख़ुद-ब-ख़ुद ख़त्म हो जाती हैं.
सिख धर्म के प्रसार के लिए लुबाना भाईचारे के कीमती योगदान की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नौवें सिख गुरू श्री गुरु तेग़ बहादुर साहिब के जीवन काल के दौरान महान श्रद्धालुओं मक्खन शाह लुबाना और लक्खी शाह वंजारा द्वारा निभाई गई अहम भूमिका पंजाबियों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी.
जि़क्रयोग्य है कि संत प्रेम जी ने 1921 में गुरू गोबिन्द सिंह खालसा, लुबाना स्कूल की स्थापना की और बाद में उनकी याद में एक और स्कूल स्थापित किया गया. आज भी कपूरथला जि़ले के नडाला और बेगोवाल कस्बों में इस धार्मिक समूह द्वारा कॉलेज चलाए जा रहे हैं. संत प्रेम जी 1937 और 1945 में पंजाब विधान सभा के लिए चुने गए और गुरुद्वारा सुधार लहर में सक्रिय भूमिका निभाते हुए 1926 से 1950 तक शिरोमणि कमेटी के मैंबर रहे. भारत के विभाजन के बाद, संत जी बेगोवाल आए और संत बिशन सिंह के नाम अधीन एक धार्मिक समूह की स्थापना की. उनका 2 जून, 1950 को निधन हो गया.
इस मौके पर विधायक अमृतसर (पश्चिमी) डॉ. राज कुमार वेरका ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया. इस मौके पर उच्च शिक्षा एवं भाषाओं संबंधी मंत्री तृप्त रजिन्दर सिंह बाजवा, टांडा से विधायक और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी प्रधान संगत सिंह गिलजियां, अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला, यूनिवर्सिटी के उप कुलपति डॉ. जसपाल सिंह संधू और संत प्रेम सिंह मुराले वाले चेयर के प्रो. सरबजिन्दर सिंह मौजूद थे.
मुख्यमंत्री ने बाद में सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, अमृतसर का दौरा किया, जहाँ उन्होंने बेसिक साइंस ब्लॉक और लडक़ों के नए होस्टल का नींव पत्थर रखा. इसके बाद उन्होंने चाय पीने के मौके पर कोरोना योद्धाओं के साथ अनौपचारिक बातचीत की.