हिमाचल में प्राकृतिक खेती से किसानों की आय में बढ़ोतरी, 2 लाख से अधिक किसान जुड़े

0
17

आदर्श हिमाचल ब्यूरों

हमीरपुर। राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास अब सफल परिणाम देने लगे हैं। हिमाचल प्रदेश की 3,584 पंचायतों में 2,22,893 से अधिक किसान 38,437 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती के तहत विभिन्न फसलें उगा रहे हैं। प्रदेश सरकार देश में प्राकृतिक उत्पादों के लिए सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी प्रदान कर रही है, जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि हो रही है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने अब तक 3.06 लाख किसानों और बागवानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया है। इसके अलावा सरकार ने वर्ष 2025-26 तक एक लाख नए किसानों को इस पहल से जोड़ने का लक्ष्य रखा है, फिलहाल 88 विकास खंडों के 59,068 किसानों ने कृषि विभाग में पंजीकरण करवा लिया है।

इस दौरान सरकार की इस पहल के चलते उपभोक्ता भी रसायनमुक्त और पौष्टिक उत्पादों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सरकार शीर्ष प्राथमिकता दे रही है और पिछले ढाई वर्षों में किसानों के सशक्तिकरण और आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं, जिनके कारण किसानों का जीवन स्तर बेहतर हुआ है, हिमाचल की लगभग 90 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और कृषि ही उनकी मुख्य आजीविका है। राज्य सरकार वर्तमान में प्राकृतिक खेती से उगाई गई मक्की के लिए ₹40, गेहूं के लिए ₹60, कच्ची हल्दी के लिए ₹90 और पांगी क्षेत्र में उगाई गई जौ के लिए ₹60 प्रति किलोग्राम न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है। किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने प्राकृतिक खेती आधारित सतत खाद्य प्रणाली शुरू की है, जिसके तहत राज्य सरकार और नाबार्ड से 50-50 प्रतिशत वित्तीय सहायता के साथ किसान उत्पादक कंपनियां स्थापित की जा रही हैं। अब तक प्रदेश में सात किसान उत्पादक कंपनियां स्थापित की जा चुकी हैं।

‘हिम भोग’ ब्रांड के तहत प्राकृतिक खेती से उगाए गए उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि उपभोक्ताओं को पौष्टिक और रसायन मुक्त उत्पाद उपलब्ध कराए जा सकें। पिछले सत्र में 10 जिलों के 1,509 किसानों से 399 मीट्रिक टन मक्की की खरीद की गई और किसानों को 1.40 करोड़ रुपये वितरित किए गए। इस वर्ष 10 जिलों से 2,123 क्विंटल गेहूं की खरीद हुई है और किसानों को 1.31 करोड़ रुपये प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से प्रदान किए गए हैं। इसके अलावा छह जिलों में प्राकृतिक रूप से उगाई गई 127.2 क्विंटल कच्ची हल्दी की खरीद के लिए 11.44 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए सरकार ने स्व-प्रमाणन प्रणाली ‘सीईटीएआरए-एनएफ’ (Certified Evaluation Tool for Agriculture Resource Analysis Natural Farming) शुरू की है, जिसके तहत अब तक 1,96,892 किसानों को प्रमाणित किया जा चुका है। इन पहलों के साथ हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में राष्ट्रीय मॉडल के रूप में उभर रहा है। देश भर के कृषि वैज्ञानिक, शोधकर्ता, किसान और अधिकारी प्रदेश के प्राकृतिक खेती मॉडल को समझने और सीखने के लिए हिमाचल का दौरा कर रहे हैं।