WHO की स्था1948पना की वर्षगांठ है। 2025 का विषय “स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य” है

Dr Anupam Parashar Professor and Head, Department of Community & Family Medicine, All India Institute of Medical Sciences, Bilaspur (Himachal Pradesh
Dr Anupam Parashar Professor and Head, Department of Community & Family Medicine, All India Institute of Medical Sciences, Bilaspur (Himachal Pradesh)-174037

आदर्श हिमाचल ब्रयूरों 
बिलासपूर । विश्व स्वास्थ्य दिवस हर वर्ष 7 अप्रैल को मनाया जाता है, जो 1948 में WHO की स्थापना की वर्षगांठ है। 2025 का विषय “स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य” है, जो मातृ एवं नवजात शिशु के स्वास्थ्य और जीवन रक्षा में सुधार पर केंद्रित है। इस अभियान का उद्देश्य सरकारों, दाताओं और स्वास्थ्य समुदाय को गुणवत्तापूर्ण देखभाल में निवेश करने के लिए प्रेरित करना है।

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मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य की प्राथमिकता
अधिकांश मातृ एवं नवजात मृत्यु जन्म प्रक्रिया के दौरान या जन्म के तुरंत बाद होती है। समय से पहले जन्म से जुड़ी जटिलताएँ पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण हैं। इसीलिए स्वास्थ्य प्रणालियों को विकसित कर गर्भावस्था, प्रसव और नवजात देखभाल की समग्र गुणवत्ता में सुधार करना आवश्यक है। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
प्रसवपूर्व जांच और समय पर देखभाल
जीवनरक्षक प्रसूति सेवाएँ
पोषण एवं मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान
गैर-संचारी रोगों का प्रभावी प्रबंधन
महिलाओं की आवाज़ सुनना और परिवारों को सहयोग देना

1. मातृ स्वास्थ्य: आजीवन प्राथमिकता
मातृ स्वास्थ्य का तात्पर्य गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोत्तर अवधि के दौरान महिलाओं के संपूर्ण स्वास्थ्य से है। हालाँकि पिछले दशकों में प्रगति हुई है, लेकिन कई महिलाएँ अभी भी असुरक्षित प्रसव, रक्तस्राव, संक्रमण, उच्च रक्तचाप और अन्य जटिलताओं के कारण जान गंवा रही हैं। कुशल स्वास्थ्य पेशेवर और समय पर चिकित्सा सेवाओं से अधिकांश मातृ मृत्यु को रोका जा सकता है।

 

Dr Anupam ParasharProfessor and Head, Department of Community & Family Medicine, All India Institute of Medical Sciences, Bilaspur (Himachal Pradesh
Dr Anupam Parashar
Professor and Head,
Department of Community & Family Medicine,
All India Institute of Medical Sciences, Bilaspur
(Himachal Pradesh)-174037

गर्भावस्था के दौरान देखभाल
नियमित जांच कराएँ: कम से कम चार प्रसवपूर्व जाँच आवश्यक हैं। ये जांच आपके स्वास्थ्य और आपके बच्चे के विकास की निगरानी करती हैं और संभावित जटिलताओं का पता लगाती हैं।
जांच: इनमें मूत्र परीक्षण, रक्त परीक्षण, रक्तचाप जांच, ग्लूकोज जांच, अल्ट्रासाउंड जांच और आपके बच्चे के विकास की निगरानी शामिल है। ये तब भी महत्वपूर्ण हैं जब आप स्वस्थ महसूस कर रही हों, क्योंकि सभी स्थितियों में स्पष्ट लक्षण नहीं होते हैं।
शिशु की हरकतें: आप आमतौर पर गर्भावस्था के 16-24 सप्ताह के बीच अपने शिशु की हरकतें महसूस कर सकती हैं। अगर हरकतें कम हो जाती हैं, बंद हो जाती हैं या अचानक तीव्र हो जाती हैं, तो आपातकालीन देखभाल लें।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ: पोषक आहार लें, तंबाकू और मादक पदार्थों से बचें, शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। अनुशंसित अनुसार टीका लगवाएं; यदि आपको कोई चिंता है तो मदद लें।
संभावित जटिलताओं पर ध्यान दें: रक्तस्राव, पेट दर्द, सिरदर्द, धुंधली दृष्टि, या शिशु की हलचल में बदलाव महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
अपने अधिकारों को जानें: सभी महिलाओं को सुरक्षित और सकारात्मक गर्भावस्था, जन्म और प्रसवोत्तर अनुभव का अधिकार है, जहाँ उनके साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार किया जाता है । प्रसव के दौरान और उसके बाद भी सहायता और सलाह लेने के लिए अपनी स्वास्थ्य टीम के साथ संपर्क करें।

 

 

2. नवजात शिशु की देखभाल
नवजात शिशु का जीवन अत्यंत नाजुक होता है, इसलिए विशेष देखभाल आवश्यक है।
स्वास्थ्य जाँच कराएँ: नवजात की नियमित स्वास्थ्य जाँच सुनिश्चित करें।
सुरक्षित नींद का अभ्यास करें: शिशु को एक मजबूत गद्दे पर पीठ के बल लिटाकर सुलाएँ।
स्तनपान को प्राथमिकता दें: यह शिशु के लिए सर्वोत्तम पोषण प्रदान करता है। क्योंकि यह उसे आवश्यक पोषक तत्व और एंटीबॉडी प्रदान करता है।
संकेतों पर ध्यान दें: यदि शिशु को तेज़ बुखार, साँस लेने में कठिनाई, सुस्ती, या लगातार उल्टी हो, निर्जलीकरण के लक्षण (कम गीले डायपर, शुष्क मुंह, सिर पर धंसा हुआ नरम स्थान) हैं, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें: जब सभी की नज़रें बच्चे पर होती हैं, तो अपनी खुद की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को नज़रअंदाज़ कर सकता है। नई माताएँ को सहयोग और आराम की आवश्यकता होती है ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें ।

सामुदायिक सहभागिता
मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य में सुधार के लिए समाज की भूमिका भी महत्वपूर्ण