आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला से जारी बयान में कहा है कि सरकार की नज़र पहले से ही मंदिरों की धनराशि और संपत्तियों पर टेढ़ी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मंदिरों का पैसा विभिन्न योजनाओं के नाम पर जबरदस्ती वसूलने का प्रयास कर रही थी। भाजपा ने हमेशा इस गलत नीति का विरोध किया है और समय समय पर सरकार की मंशा पर आगाह भी किया है। जयराम ठाकुर ने कहा कि अब माननीय उच्च न्यायालय द्वारा मंदिरों की संपत्तियों की देखरेख और मंदिर के पैसों का इस्तेमाल सरकार द्वारा करने पर रोक लगाए जाने तथा दिशा निर्देश जारी किए जाने का स्वागत करते हैं। इससे मंदिरों की धनराशि श्रद्धालुओं की सुविधा, गौ सेवा और सनातन धर्म के प्रचार प्रसार में ही खर्च होगी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष जनवरी में सरकार ने सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश दिए थे कि मंदिरों को अपने राजस्व से सरकार के खजाने में पैसा जमा करना होगा, जिसका उपयोग सुखाश्रय एवं शिक्षा योजनाओं में किया जाएगा। लेकिन यह योजना सिर्फ एक साजिश थी क्योंकि सुखाश्रय के लिए आवंटित बजट का बड़ा हिस्सा सरकार ने एफडी कर रखा था और लाभार्थियों को राहत नहीं मिल रही थी।
इस दौरान जयराम ठाकुर ने कहा कि जब मंदिरों से वसूली की बात सामने आई तो सरकार ने इनकार किया और झूठ का सहारा लिया, उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर पैसा वसूला ही जा रहा है तो उसे स्वीकार करना चाहिए। जयराम ठाकुर ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा कि उसने मंदिरों के दान से गौशाला निर्माण पर भी आपत्ति जताई थी, जो सनातन परंपरा के विरोध के समान है। उन्होंने कहा कि अब हाईकोर्ट के दिशा निर्देशों के बाद गौ सेवा के विरोधियों को स्पष्ट संदेश मिल गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार अब मंदिरों की संपत्तियों पर नजरें गड़ाए बिना उनका उपयोग केवल धर्मार्थ कार्यों के लिए करेगी। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंदिरों की आय को देवता की संपत्ति बताते हुए सरकार के उपयोग पर रोक लगा दी है। अब मंदिरों की आय का उपयोग केवल धार्मिक, शैक्षणिक और धर्मार्थ कार्यों में किया जाएगा और साथ ही मंदिरों की आय-व्यय का ब्योरा परिसर में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने के आदेश भी दिए गए हैं।