आदर्श हिमाचल ब्यूरो
धर्मशाला। पूर्व मंत्री एवं AICC सचिव सुधीर शर्मा ने प्रदेश सरकार द्वारा अफसरशाही में बार-बार किए जा रहे बदलाव पर तीखा तंजौर कसा है। उन्होंने कहा कि “ताश के पत्ते फेंटते रहने से जोकर, हुकुम का इक्का नहीं बन जाता”।
सुधीर शर्मा ने कहा कि सरकार अपनी नाकामी छुपाने के लिए प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे को निशाना बना रही है। प्रजातंत्र में जनता द्वारा चुनी हुई सरकारों का यह दायित्व बनता है कि वह जनता की उम्मीदों पर खरा उतरे और चुनाव में किए गए वादों को पूरा करे, लेकिन इससे उलट प्रदेश में भाजपा सरकार अपनी घोषणाओं को पूरा न होते देख सारा ठीकरा प्रशासनिक अधिकारियों के ऊपर थोप रही है।
सुधीर शर्मा ने कहा सरकार यह भूल चुकी है कि ये चुने हुए प्रतिनिधियों की ज़िम्मेवारी है कि वह अधिकारियों से काम लें, लेकिन दिशाहीन सरकार यह करने में विफल रही है। जब अधिकारियों को स्पष्ट रूप से यही नहीं बताया जाएगा कि सरकार की नीति क्या है और प्रदेश हित में दूरगामी क्या कार्य करने हैं, तो ऐसा होना संभव है यह वर्तमान सरकार की भड़ास है जिसे वह तबादलों के रूप में अधिकारियों के ऊपर निकाल रही है। उन्होंने कहा कि जब किसी भी अधिकारी को एक पद पर थोड़ा समय भी रुकने नहीं दिया जाएगा, तो आप उसकी कार्यप्रणाली पर कैसे शक कर सकते हैं ? उन्होंने सवाल उठाया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि बाहरी दबावों के चलते इस प्रकार की फेरबदल प्रदेश के अंदर किए गए हों ?
कांग्रेस नेता ने कहा कि बार-बार प्रशासनिक ढांचे में फेरबदल होने से प्रदेश के आला अफ़सरों का मनोबल गिरा है और जनता का भी सरकार के ऊपर से विश्वास उठ चुका है। उनका कहना है कि यह साफ़ हो चुका है अपनी विफलता का ठीकरा सरकार दूसरों पर फोड़ना चाहती है। बार-बार के फेरबदल से प्रदेश में विकास की गति रूक गई है, जिस सरकार को यह नहीं पता कि किस अधिकारी से उसे क्या कम लेना है, उससे प्रदेश की जनता क्या उम्मीद कर सकती है।