उपलब्धि: उपमण्डल बंजार के दुर्गम  गाँव शाकटी को तीस वर्षों बाद मिला मिडल स्कूल, ग्रामीण चहकें

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दीवान राजा
आनी। जिला कुल्लू के सैंज व उपमण्डल बंजार में स्तिथ ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में बसे गाँव शाकटी,मरोड़ और शुगाड़ भले ही दुर्गम हो लेकिन यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता इन गांवों के परिचय के लिए काफ़ी है ।
अब 30 वर्षों बाद शाकटी गांव की राजकीय प्राथमिक पाठशाला को माध्यमिक विद्यालय का दर्जा दे दिया गया है । पिछले वर्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस प्राइमरी स्कूल को अपग्रेड करने को घोषणा की थी ।
बंजार विधानसभा के विधायक सुरेंद्र शौरी के अथक प्रयासों से अब विद्यालय को मिडल स्कूल का दर्जा दे दिया गया है जिससे गांव के बच्चों को लाभ मिलेगा । ग्रामीण आज़ादी के 72 सालों बाद इस उपलब्धि से बेहद खुश है । ग्रामीणों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर,शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर व विधायक सुरेंद्र शौरी का आभार जताया है ।
बता दें आज़ादी के 72 वर्षों बाद भी अभी तक यहाँ के गांव सड़क जैसी सुविधा से महरूम है। आपको बता दें बंजार के अति दुर्गम इलाके में बसे तीन गांव शाकटी,मरोड़ और शुगाड़ कि प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है । लेकिन सड़क सुविधा न होने के कारण  खाद्य सामग्री के लिए लोगों को मीलों दूर तक जाकर अपनी पीठ पर या खच्चरों पर सामान लाना पड़ता है ।
एक समय था कि वहाँ के लोगों ने बिजली कैसी होती है या बिजली का बल्ब कैसा होता है ,ये तक नहीं देखा । हालांकि अब सोलर लाइट से थोड़ी राहत मिली है । वहीं,क्षेत्र में बिजली के लिए भी फारेस्ट लैंड ट्रांसफर का मामला जयराम सरकार ने राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजा गया है जिसकी स्वीकृति आना बाकी है ।
नेशनल पार्क का नियम कि उसमें कोई रिहायशी नहीं हो सकती है ,यही कारण था कि नेशलन पार्क में बसे इन तीन गांवों की ज़मीन को सेंचुरी क्षेत्र में बदलकर इन्हें सैंज वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का नाम दे दिया गया ।
इन तीनों गांव में सबसे पहले शुगाड़ गांव को सड़क सुविधा लगभग पांच घण्टे पैदल चलकर निहारणी नामक स्थान से मिलती है । अंतिम गांव मरोड़ में पहुँचने के लिए लगभग नौ घंटे पैदल व दुर्गम रास्ता तय करना पड़ता है । सैंज नदी जिसे पार्वती नदी भी कहा जाता है के किनारे बसे ये गांव प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत है ।
इससे और अधिक आगे और ऊंचाई पर परकची,रक्ति सर जैसे स्थल हैं जो अप्रितम सौंदर्य के साथ साथ बहुमूल्य जड़ी-बूटियों के लिए प्रसिद्ध हैं ।  यहाँ के लोगों का रहना-सहन ,खान पान और तौर-तरीके भी अभी पारम्परिक हैं । लेकिन देव आस्था में परिपक्वता है । स्थानीय देवता श्री आदि ब्रम्हा व ध्रुव ऋषि यहां के बाशिंदों के लिए सर्वोपरि हैं । इन देवताओं का आदेश ही इनके लिए सबकुछ है व इनके लिए यही कानून भी है ।
खुशी की बात है कि शराब इन गांवों में पूरी तरह से निषेध है ।
गाड़ा पारली पंचायत के एक वार्ड में बसे इन गांवों की जनसँख्या 200-250 के आसपास हैं । इसमें 100-120 मतदाता हैं । यहां के लोगों की एक ही इच्छा है कि इन गांवों को मूलभूत सुविधाएं दी जाए जिनकी उनको दरकार है ।