देश व विदेशी सैलानियों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र है भगवान श्री बृजराज स्वामी मंदिर

Lord Shri Brijraj Swami Temple is also the center of faith and reverence of the country and foreign tourists.

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

कांगड़ा( नूरपुर )पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय उच्च मार्ग के प्रवेश द्वार से सटा नूरपुर शहर प्राचीन काल में धमड़ी नाम से जाना जाता था। बेगम नूरजहाँ के यहां आने के बाद शहर का नाम नूरपुर पड़ा। यहां पर राजा जगत सिंह का किला विद्यमान है। इस किले के अंदर श्री बृज राज स्वामी तथा काली माता मंदिर है। जानकार बताते है कि श्री बृजराज स्वामी मंदिर संसार में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां कृष्ण व मीरा की मूर्तियां एक साथ शोभायमान है।

सौंदर्य से परिपूर्ण एक टीलेनुमा जगह पर स्थित यह नगर कभी राजपूत राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। इस मंदिर के इतिहास के साथ एक रोचक कथा है कि (1619 से 1623 ई.) नूरपुर के राजा जगत सिंह अपने राज पुरोहित के साथ चित्तौड़गढ़ के राजा के निमंत्रण पर वहां गए। राजा जगत सिंह व उनके राज पुरोहित को रात्रि विश्राम के लिए महल में स्थान दिया गया, उसके साथ में एक मंदिर था, जहां रात के समय राजा को उस मंदिर से घुंघरूओं तथा संगीत की आवाजें सुनाई दी। राजा ने जब मंदिर में झांक कर देखा तो उस कमरे में श्रीकृष्ण जी की मूर्ति के सामने एक उनकी एक अनन्य भक्त भजन गाते हुए नाच रही थी। राजा ने सारी बात अपने राज पुरोहित को सुनाई।

 

राज पुरोहित ने राजा जगत सिंह को घर वापिसी पर राजा (चितौडगढ़) से इन मूर्तियों को उपहार स्वरूप मांग लेने का सुझाव दिया, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण व मीरा की यह मूर्तियां साक्षात हैं। चितौड़गढ़ के राजा ने भी खुशी-खुशी मूर्तियां व मौलश्री का एक पेड़ राजा जगत सिंह को उपहार स्वरूप दे दिया। तदोपरांत नूरपुर के राजा ने अपने दरबार-ए-खास को मंदिर का स्वरूप देकर इन मूर्तियों को वहां पर स्थापित करवा दिया। राजस्थानी शैली की काले संगमरमर से बनी भगवान श्रीकृष्ण व अष्टधातु से बनी मीरा की मूर्ति आज भी नूरपुर किले के अंदर ऐतिहासिक श्री बृज राज स्वामी मंदिर में शोभायमान है। इसके अतिरिक्त मंदिर की भित्तिकाओं पर राजा द्वारा करवाये गए कृष्ण लीलाओं के चित्रण आज भी सभी के लिए दर्शनीय है।

 

वर्तमान में मंदिर के संचालन व रखरखाब का जिम्मा स्थानीय स्तर पर गठित मंदिर कमेटी के पास है। प्रदेश सरकार भी समय-समय पर इसके जीर्णोद्धार के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाती है। यहां पर प्रदेश के श्रद्धालुओं के अलावा सीमांत राज्य पंजाब, हरियाणा व जम्मू-कश्मीर तथा अन्य राज्यों से भी हजारों की संख्या में लोग सारा साल मंदिर में शीश झुकाते हैं। यह मंदिर अब देश के साथ विदेशी सैलानियों की आस्था और श्रद्धा का भी केंद्र बन गया है।

 

प्रेम व आस्था के संगम के प्रतीक इस मंदिर का नूर जन्माष्टमी को छलक उठता है जब यहां पर दिन-रात श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भगवान श्री कृष्ण तथा मीरा जी के दर्शन करने के लिए उमड़ती है। यहां पर आयोजित होने वाले जन्माष्टमी उत्सव को राज्य स्तर का दर्जा प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त इस वर्ष पहली बार होली पर्व पर दो दिवसीय होली महोत्सव का आयोजन किया गया। जिसमें पहले दिन भगवान के द्वार में फूलों से होली खेली गई जबकि दूसरे दिन रंगोत्सव मनाया गया। यहां पर मंदिर कमेटी की तरफ से हर रविवार को श्रद्धालुओं के लिए लंगर की भी व्यवस्था रहती है। इसके अतिरिक्त मंदिर के रखरखाब व विकास कार्यों में भी कमेटी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।