मेजर विषण सिंह का शोक ले आया उन्हें सुर्ख़ियों में, उगाई आम की वो किस्म जो दिखने में कद्दू से कम नहीं है

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बिलासपुर: बिलासपुर के स्योथा गांव के सेवानिवृत्त मेजर विषण सिंह इन दिनों सुर्खियों में छाए हुए हैं कारण जान कर आप भी हैरान रहे जाएंगे. मेजर विषण सिंह पेड़ों पर एक किलो सात सौ ग्राम वजनी आम लगे हैं जो आमतौर पर देखे नहीं जाते. कहा जा सकता है इनके पेड़ों पर लगे ये आम देखने में कद्दू से कम नहीं है.

इन आमों की खासियत यह है कि इनकी पैदावार सीजन के अंत में होती है और बाजार में इसे अच्छी कीमत 80 से 90 किलो मिल जाती है. हालांकि, विषण सिंह ने अभीतक इन आम को मार्किट में नहीं उतारा है. वे इसे रिश्तेदारों और गांव के लोगों में बांट देते हैं.

विषण सिंह बताते है यह आम फजली किस्म का है, जिसकी कलम वह करीब तीस साल पहले घुमारवीं की निहारी नर्सरी से लाए थे. आज यह आम के पेड़ करीब पचास फीट से भी ऊंचे हो चुके हैं और हर पेड़ में लगे आम का वजन तक़रीबन एक किलो से अधिक है. कुछ आम 1700 ग्राम, 1300 ग्राम 1150 ग्राम के भी हैं. साथ ही यह आम खाने में बहुत मीठा हैं.

इस आम की अन्य खूबियाँ यह है की इसका छिलका काफी पतला होता है और आम हल्के पीले रंग के साथ साथ काफी रस से भरा होता है. इस आम की पैदावार बंगाल के अलावा पड़ोसी देश बांग्लादेश में भी बड़ी मात्रा में होती है.

मेजर विषण सिंह ने बताते है कि उनके बगीचे में एक छोटे पौधों में तीसरे साल दो क्विंटल के करीब आम लगे है. वहीं बड़े पेड़ों पर 5 क्विंटल तक की पैदावार हुई है. वह बताते हैं कि बागवानी उनका शौक है, पेशा नहीं. इसलिए वह अभीतक फसल को बचते नहीं हैं बल्कि अपने रिश्तेदारों और गांव वालों में बांट देते हैं.

इस पर सहायक उद्यान विकास अधिकारी कंदरौर बृज लाल शर्मा का कहना है कि फजली किस्म का आम अक्तूबर महीने के अंत तक पककर तैयार होता है. कई बार आम में कीड़े की समस्या आती है. इसकी रोकथाम के लिए मैलाथ्यान दो एमएल एक लीटर पानी में थोड़ा गुड़ डालकर पेड़ पर छिड़काव करें. इसकी चटनी और आचार भी बनता है। इसके उत्पादन से लोग आर्थिकी मजबूत कर सकते हैं.