आदर्श हिमाचल ब्यूरो
सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के संगड़ाह उपमंडल के सांगना गांव की मिड डे मील वर्कर ने पीएम मोदी को पत्र लिख आप बीती सुनाई. पत्र में मिड-डे मील वर्कर उर्मिला रावत ने पीएम से कहा कि पिछले 16 साल से महज 87 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से वह दोपहर भोजन योजना में सेवाएं दे रहीं है. उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा कि इस महंगाई के दौर में जब रिफाइंड का रेट उनके प्रतिदिन के भत्ते से ज्यादा है, ऐसे में क्या 87 रुपये में कोई अपने पूरे परिवार का पालन पोषण कर सकता है.
उन्होंने पत्र में यह भी साझा किया है, कि वह राजकीय प्राथमिक स्कूल सांगना में वह डेढ़ दशक से बतौर मिड-डे मील वर्कर के रूप में कार्य कर रहीं है . पिछले डेढ़ दशक से उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से 87 रुपये का भुगतान किया जा रहा है. ऐसे में उनके लिए बढ़ती महंगाई में अपने परिवार का पेट पालना बहुत मुश्किल हो गया है.
उनका कहना यह भी है कि इसी स्कूल में शिक्षक का वेतन 60 से 70 हजार रुपये के बीच है. वहीं, मिड-डे मील वर्कर का मानदेय महज 2600 रुपये. जबकि, वह भी स्कूल में सुबह 10 से दोपहर दो बजे तक अपनी सेवाएं देती हैं. उनका काम भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की एक शिक्षक का क्यूंकि बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने का जिम्मा उन पर है.
कर्मचारियों के बीच आर्थिक असमानता बेहद ज्यादा है. ऐसे में बढ़ती महंगाई को देखते हुए एमडीएम वर्करों का वेतन कम से कम 15 हजार रुपये तक किया जाना चाहिए. उन्होंने पत्र के अंत में प्रधानमंत्री में यह भी जिक्र किया कि इस पत्र को पढ़कर वह इस दिशा में कोई न कोई ठोस कदम जरूर उठाएंग. साथ ही उन्होंने इस पत्र की एक प्रति भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री को भी प्रेषित की है.