इस मुस्लिम परिवार ने बकरे के चित्र वाला केक काटकर मनाया बकरीद पर्व, हो रही वाहवाही  

बकरे के चित्र वाला केक
बकरे के चित्र वाला केक

आदर्श हिमाचल ब्यूरो 

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शिमला। बकरीद के पर्व पर्व मनाने के अंदाज को लेकर एक परिवार काफी चर्चा में है। दरअसल, यह परिवार खुद तो कभी किसी जानवर की हत्या करता नहीं है, साथ ही अन्य लोगों को भी कुर्बानी के नाम पर बेजुबानों की हत्या न करने के लिए प्रेरित करता है। इस परिवार ने बकरे के चित्र वाला केक काटकर बकरीद पर्व मनाता आ रहा है। इस बार भी इसी तरह केक काटकर पर्व मनाया।

 

यह परिवार शाहगंज क्षेत्र के आजमपारा, शेरवानी मार्ग, तिरंगा मंजिल निवासी नवाबगुल चमन शेरवानी का है। यह परिवार पिछले छह वर्षों से बकरीद पर बकरे के चित्र वाला केक काटकर इसे ही कुर्बानी मान लेता है। पूरा परिवार इस तरह पर्व मनाने से काफी प्रसन्न भी रहता है। चमन शेरवानी पहली बार राष्ट्रीयगीत वंदे मातरम तथा तिरंगा प्रेम के चलते सुर्खियों में आए थे। चमन शेरवानी की तिरंगा फैमिली का मानना है कि ईश्वर ने खाने के लिए तमाम नियामत पैदा की है। फिर अपने भोजन के लिए किसी जीव की हत्या करना मुनासिब नहीं है।

 

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चमन शेरवानी का कहना है कि सदियों पूर्व हजरत इब्राहिम साहब ने अल्लाह की राह में अपने तमाम पसंदीदा जानवरों को कुर्बान करने के बाद अपने बेटे को जुबा करना चाहा। लेकिन, अल्लाह सिर्फ कुर्बानी करने वाले की नियत देखता है। अल्लाह ने उनके बेटे की जगह एक जानवर भेड़ पैदा कर दी। तब से ही जानवरों की कुर्बानी का सिलसिला चला आ रहा है। जब इंसान की जगह जानवर आ सकता है तो जानवर की जगह जानवर के फोटो वाला केक काटकर परंपरा क्यों नहीं अदा की जा सकती। उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो आदमी को नमाजी होना चाहिए। ईमानदार होना चाहिए। अपने भाई-बहन, मां-बाप का फर्ज अदा करना चाहिए। चमन शेरवानी की इस पहल पर शहर से लेकर गांव तक के लोगों ने सराहना की है।