आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला। राज्य में जलवायु परिवर्तन और आपदाओं की बढ़ती चुनौती के बीच हिमाचल प्रदेश सरकार वन संरक्षण एवं पर्यावरण प्रबंधन को प्राथमिकता दे रही है। वर्ष 2023 से 2025 के बीच वन क्षेत्रों की रक्षा के लिए ग्राम वन प्रबंधन समितियों की भूमिका को सशक्त किया गया है। ये समितियां अब वन विभाग के साथ मिलकर अवैध गतिविधियों पर नजर रखने में सक्रिय सहयोग करेंगी और उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित भी किया जाएगा। वन विभाग में कर्मचारियों की कमी को दूर करने तथा वनों की रक्षा में स्थानीय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सरकार वन मित्रों की नियुक्ति भी कर रही है।
इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने युवाओं से इस अभियान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना भावी पीढ़ियों के लिए एक हरित, स्वच्छ और सुरक्षित हिमाचल की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में सोलन जिले की नालागढ़ तहसील के दभोटा में उत्तर भारत के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट की आधारशिला रखी और इसके साथ ही राज्य में 325 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाओं के लिए सर्वेक्षण जारी हैं, और 72 मेगावाट की सात परियोजनाएं विभिन्न कंपनियों को आवंटित की जा चुकी हैं। राज्य सरकार 200 किलोवाट क्षमता वाले सौर संयंत्रों के माध्यम से 200 हरित पंचायतों का विकास कर रही है। इसके अलावा ई-वाहनों के प्रयोग, हरित गलियारों के निर्माण, ग्रीन स्कूल कार्यक्रम और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।
प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री ने स्कूली छात्रों को 60 हजार स्टेनलेस स्टील की पानी की बोतलें वितरित करने की घोषणा की है और साथ ही प्लास्टिक उपयोग पर नियमों को सख्त बनाया गया है और गैर पुनर्चक्रण योग्य प्लास्टिक के निपटान हेतु सीमेंट संयंत्रों के साथ समझौते भी किए गए हैं। वनरोपण के उद्देश्य से कैंपा (राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण) के तहत राज्य को 2025-26 की वार्षिक संचालन योजना के लिए 143.35 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्राप्त हुई है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने “प्लास्टिक चैलेंजिंग” मोबाइल ऐप को एक डिजिटल प्रवर्तन प्रणाली के रूप में प्रस्तुत किया, जिसके माध्यम से 13 विभागों के अधिकारी सीधे मोबाइल से चालान जारी कर सकेंगे। इससे पर्यावरणीय नियमों के पालन में पारदर्शिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित होगी। सरकार ने स्थानीय स्तर पर सतत विकास और इको विलेज के निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष दिशा निर्देश भी जारी किए हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में हरित पहल को मजबूती प्रदान करेंगे।