हमीरपुर: वीरवार को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ ने हमीरपुर जिले के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में आजादी का अमृत महोत्सव और एक भारत, श्रेष्ठ भारत अभियान के अन्तर्गत राष्ट्रीय विज्ञान भारती द्वारा आयोजित विद्यार्थी विज्ञान मंथन-2021-22 के पारितोषिक वितरण समारोह में मुख्यातिथि शिरकत की इस मौके पर भारतीय सभ्यता, संस्कृति और स्वदेशी विज्ञान के गौरव को पुनर्स्थापित करने पर बल देते हुए आर्लेकर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में मील पत्थर साबित हो सकती है।
प्रदेश के राज्यपाल ने इस मौके पर होनहार छात्रों को पारितोषिक वितरित किए तथा छात्रों का मार्गदर्शन किया। मौके पर उन्होंने कहा कि भारतीय परम्परा व जीवनशैली विज्ञान पर आधारित रही है। उन्होंने कहा कि यहां की समृद्ध संस्कृति व सभ्यता में विज्ञान का समावेश देखने को मिलता था। लेकिन, विदेशी आक्रांताओं ने देश की इस महान संस्कृति और यहां की विज्ञान की परंपराओं को प्रभावित किया। दुर्भाग्यवश, हमने भी सभ्यता की महान परंपराओं को ही भुला दिया तथा पश्चिम के विचार को ही श्रेष्ठ मानना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति और स्वदेशी विज्ञान के गौरव की पुनर्स्थापना करना हमारा कर्तव्य है। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक मील पत्थर साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि महान वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में तैयार की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति सही मायनों में हमारी मिट्टी से जुड़ी है और यह नीति हमारे शैक्षणिक ढांचे को वैचारिक गुलामी के चंगुल से आजाद करने की दिशा में गंभीर प्रयास है। इसमें भारतीय आचार, विचार और संस्कारों का बेहतरीन समावेश किया गया है।
उन्होंने सभी शिक्षाविदों और विद्यार्थियों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति का गहन अध्ययन करने का आहवान करते हुए कहा कि इसके बेहतर कार्यान्वयन के लिए वे सुझाव भी दें।
आर्लेकर ने कहा कि इस नीति में शिक्षा को रोजगारपरक बनाने पर विशेष बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए शिक्षा का अर्थ केवल डिग्री हासिल करना और उस डिग्री के आधार पर केवल नौकरी ढूंढना ही नहीं होना चाहिए बल्कि नौकरी ढूंढने के बजाय स्वयं रोजगार प्रदाता बनने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल की वैज्ञानिक परंपराओं के अलावा आधुनिक विज्ञान में भी भारतीय वैज्ञानिकों ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।