एनएसयूआई ने किया विश्वविद्यालय के खिलाफ हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत

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आदर्श हिमाचल ब्यूरो

शिमला। एनएसयूआई हिमाचल प्रदेश के राज्य अध्यक्ष छत्तर ठाकुर ने कहा कि अब तो कोर्ट ने भी विश्वविद्यालय के कुलपति और अन्य प्रशासन द्वारा कोरोना काल मे कई झूट बोलकर और ग्रेजुएशन के पूरे रिजल्ट घोषित किये बगैर मेरिट के आधार पर छात्रों को दाखिला देने को गैरकानूनी करार दिया है।

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मेरिट के आधार पर दाखिले के दौरान एनएसयूआई ने जब इसका विश्वविद्यालय परिसर में विरोध किया तो वीसी ने पुलिस द्वारा बल प्रयोग व लाठीचार्ज द्वारा छात्रों की आवाज को दबाने की कोशिश की। लेकिन आज जब कोर्ट ने ही इस एडमिशन को गैरकानूनी कहा है तो ऐसे में एनएसयूआई विवि के कुलपति से प्रदेशभर के हज़ारों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने के लिए इस्तीफे की मांग करती है।

इतना ही नहीं दो दिन पहले सामने आए विवि के एक और कारनामे पर टिप्पणी करते हुए एनएसयूआई के राज्य संगठन महासचिव मनोज चौहान ने कहा कि बीएड की काउन्सलिंग शेड्यूल की अधिसूचना एबीवीपी के लेटर पैड पर प्रकाशित किया जाना अति दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे देशभर में एचपीयू की खासी बदनामी हुई है। ये घटना आरएसएस एजेंटो द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों को आरएसएस की एडवर्टाइजिंग एजेंसी के तौर पर इस्तेमाल किये जाने का एक बड़ा उदाहरण है। इन सभी घटनाओं से उग्र होकर एनएसयूआई राज्य इकाई ने विवि कुलपति व डीएस के इस्तीफे की मांग की है। विवि में शिक्षक भर्ती मामले पर भी लगातार धांधलियों के आरोप लगाए जाने पर एनएसयूआई ने इसका कड़ा संज्ञान लेते हुए शिक्षक भर्ती की दिसम्बर 2019 में निकाली गयी विज्ञप्ति जिसकी वैधता नियमानुसार दिसम्बर 2020 को समाप्त हो गयी है उसे फिर से री-एडवर्टाइज करने की भी मांग की है।