आदर्श हिमाचल ब्यूरो
शिमला। पोषण अभियान का उद्देश्य राष्ट्र के बच्चों, किशोरों और महिलाओं को कुपोषण मुक्त करने तथा स्वस्थ और मजबूत समाज का निर्माण करना है। यह विचार आज गुड़िया सक्षम बोर्ड की उपाध्यक्ष रूपा शर्मा ने बाल विकास परियोजना शिमला शहरी द्वारा आयोजित पोषण माह के पांच सूत्रीय कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए न्यू शिमला सैक्टर-3 में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि पोषण माह के दौरान प्रत्येक घर तक सही पोषण का संदेश पहुंच सके, इसके लिए हमें मिलकर प्रयास करने होंगे।
उन्होंने कहा कि एक बूटा बेटी के नाम योजना के तहत चलाए जा रहे कार्यों के विषय में बात करते हुए कहा कि जिस तरह हम एक बूटे का पूर्णतयः ध्यान रखते है उसी तरह हमें गर्भ में पल रहे एक शिशु के पालन-पोषण का भी ध्यान रखना चाहिए, जिसमें मुख्य दायित्व एक माता का होता है। इस अवसर पर रूपा शर्मा ने एक बूटा बेटी के नाम रोपित किया।
उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इन पांच सूत्रीय कार्यक्रम जिनमें मुख्यतः गर्भावस्था में महिला को मुख्यतः पौष्टिक आहार जरूर लेना चाहिए, जिससे गर्भ में पल रहे शिशु को अनीमिया जैसी बीमारी से दूर रखा जा सके। एक बूटा बेटी के नाम कार्यक्रम, खून की कमी को दूर करना, डायरिया तथा अतिसार जैसी बीमारी से बचना, हाथों की सफाई रखना जैसे कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल महामारी जो योगदान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा आशावर्करज् ने दिया है वह सराहनीय है। इन वर्करों द्वारा घर-घर जाकर मास्क उपलब्ध करवाना, सैनेटाइजर लोगों को पहुंचाना और दूर-दराज एवं शहरी क्षेत्रों में पीपीई किट द्वारा लोगों की जांच की गई।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्ट फोन उपलब्ध करवाए गए, जिससे वह अपने क्षेत्र में किसी भी तरह से कुपोषित महिला तथा शिशु का विवरण अपने मुख्यालय को दे सके। उन्होंने कहा कि आपके आस-पास कहीं किसी प्रकार की महिला तथा लड़कियों के साथ दुव्र्यवहार हो रहा हो तो आप गुड़िया हेल्प लाईन जो 1515 आरम्भ की गई है, उस पर प्रताड़ित महिला का विवरण दें, जिससे कि प्रदेश तथा देश में हो रही महिलाओं के साथ अत्याचार को रोका जा सके। क्योंकि हमारी प्रदेश या देश की महिला हर कार्य में अग्रणीय है।
इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग से डाॅ. हिमानी ने अनीमिया जैसी बीमारी के विषय में बात करते हुए बताया कि 5 फीसदी से अधिक महिलाएं एवं 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे अनीमिया से ग्रस्त है। 25 से 30 फीसदी कम वजन के नवजात देश में पैदा हो रहे हैं। ऐसे बच्चों को मानसिक व शारीरिक विकास सामान्य नहीं हो पाता इसलिए माता को अपने शिशु एवं स्वयं को सम्पूर्ण पोषित रखने के लिए समय-समय पर पोषित भोजन का उपयोग करना चाहिए।
इस दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी वंदना चैहान ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तथा आशा वर्करों का जिला में कार्य की सराहना करते हुए कहा कि इनके द्वारा सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर समय-समय पर गर्भवती महिला के घर-घर जाकर इनके द्वारा इस कोरोना काल महामारी के दौरान भी इनकों पोषित आहार दिया तथा कहा कि गर्भवती महिलाओं को एक हजार दिन तक अपने शिशु को अपना दूध ही पिलाना चाहिए तथा उन्होंने विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की भी विस्तृत जानकारी दी।
बाल विकास परियोजना अधिकारी शिमला शहरी ममता पाॅल ने मुख्यातिथि का स्वागत किया तथा विभाग में चलाई जा रही गतिविधियों के बारे में अवगत करवाया। इस अवसर पर विभाग द्वारा प्रदर्शनी भी लगाई गई। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर स्वच्छता किट भी वितरित की तथा इस संबध में जानकारी भी उपलब्ध करवाई।