आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला| प्रदेश में चरवाहों के लिए एक समग्र और व्यापक योजना ‘पहल (PEHEL)’ तैयार की जा रही है, जिसका उद्देश्य चरवाहों का आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण करना है। इस योजना के तहत प्रदेश की भेड़ और बकरी की जनसंख्या, ऊन और मीट उत्पादन, साथ ही माइग्रेटरी चरवाहों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न कार्यक्रमों को लागू किया जाएगा। इस पहल योजना में 7.9 लाख भेड़ों, 11.10 लाख बकरियों, 1434 टन ऊन और 5429 टन मीट उत्पादन को आधार बनाया गया है। पिछले 20 वर्षों में भेड़ की जनसंख्या में 27 फीसदी और बकरियों में 5 फीसदी की गिरावट आई है। इसी को ध्यान में रखते हुए योजना के तहत 294.36 करोड़ रुपये की लागत से चरवाहों को डिजिटल पंजीकरण, विदेशी नस्लों का प्रसार (GAURI), सब्सिडी व इंश्योरेंस (PALASH), वेटनरी स्वास्थ्य देखभाल (VAIDH) और नए स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन (DHARA) जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
इस दौरान सरकार का लक्ष्य है कि योजना के लागू होने से 15 से 20 फीसदी तक उत्पादन और आय में वृद्धि होगी तथा करीब 40 हजार परिवारों को लाभ मिलेगा। योजना में विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं और कमजोर वर्गों को टारगेट किया गया है, और साथ ही जनजातीय क्षेत्रों के 100 फीसदी चरवाहों को कवर किया जाएगा, हिमाचल की ऊन को जीआई टैगिंग दिलाने के लिए भी विशेष प्रयास होंगे। पशुपालन विभाग की टीम ने उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, बीकानेर और मथुरा में निरीक्षण के बाद योजना का प्रारूप तैयार किया है, जिसे जल्द केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
मुर्गी पालन में तेजी, 52% वृद्धि दर्ज
वहीं, प्रदेश में ब्रॉयलर मुर्गी पालन भी तेजी से बढ़ रहा है। पशुपालन विभाग के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में मुर्गी पालन में 52 फीसदी की वृद्धि हुई है, खासकर पंजाब से सटे जिलों में यह व्यवसाय तेजी से फैल रहा है। ब्रॉयलर पोल्ट्री फार्मिंग को छोटे किसान भी कम निवेश में शुरू कर सकते हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और रोजगार के करीब 10,200 अवसर पैदा होंगे और आने वाले पांच वर्षों में प्रदेश में 1000 ब्रॉयलर यूनिट स्थापित करने का लक्ष्य है, जिन पर 83.05 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें सरकार 30 फीसदी सब्सिडी देगी, पशुपालन विभाग के सचिव रितेश चौहान, निदेशक संजीव धीमान सहित अन्य अधिकारी और विशेषज्ञ इस बैठक में मौजूद रहे है।