आदर्श हिमाचल ब्यूरों
शिमला। एपीजी शिमला विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को अपने प्रतिष्ठित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (एआई) में नवाचार का शानदार सफलता के साथ समापन किया। हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में दुनिया भर के 250 से अधिक शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, पेशेवरों, शोधार्थियों और छात्रों ने मुख्य विषय एआई-संचालित विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से भविष्य को नए नवाचारों द्वारा आकार देना के तहत भाग लिया।
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले चरण का उद्घाटन मुख्य अतिथि रहीं पूनम ठाकुर सहायक आयुक्त।राज्य कर और उत्पाद शुल्क जिला शिमला द्वारा किया गया। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विज्ञान, तकनीकी और एआई से संबंधित नवाचारों पर शोधपत्र, एआई के उपयोग पर व्याख्यान, भाषण, तकनीकी सत्र और पैनल चर्चाएँ शामिल रहीं। एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. राजिंदर सिंह चौहान ने सम्मेलन में पधारे मुख्य अतिथि, वशिष्ठ अतिथि, शोधार्थियों, शिक्षकों, छात्रों और प्रतिभागियों स्वागत किया और अपने उद्बोधन के माध्यम से इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्देश्य, स्वास्थ्य सेवा से लेकर फोरेंसिक विज्ञान तक कई विषयों में आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (एआई ) की परिवर्तनकारी एवं मानव विकास में विज्ञान, तकनीकी और नवाचारों की भूमिका को रेखांकित करते हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत की।
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उल्लेखनीय सत्रों में प्रो. डॉ.विन्नी शर्मा, डॉ. आशीष शर्मा, डॉ. करण सिंह, श्री अमन ठाकुर, डॉ. कृष्ण मोदी और डॉ. राहुल प्रियदर्शी जैसे प्रख्यात अनुसंधानकर्ताओं और विद्वानों का योगदान शामिल रहा। वहीं एपीजी शिमला विश्वविद्यालय की ओर से डीन एकेडमिक्स प्रो. डॉ. आनंद मोहन शर्मा, डीन इंजीनियरिंग प्रो. डॉ. अंकित ठाकुर, सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. डॉ. बीएस चौहान और डॉ. मनिंदर कौर और सम्मेलन के संयोजक ललित कुमार, सौरव सैनी और अतुल कुमार दुबे के शानदार नेतृत्व में फोरेंसिक टेक्नोलॉजी टीम ने सम्मेलन के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया, वहीं सम्मेलन के छात्र-समन्वयकों, शिक्षकों और स्वयंसेवकों ने भी सम्मेलन के सफ़ल आयोजन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सम्मेलन का मुख्य आकर्षण फोरेंसिक इंडिया संस्थान के साथ साझेदारी थी। इस संस्थान की ओर से फोरेंसिक जांच और साइबर अपराध विश्लेषण में एआई के एकीकरण के बारे में महत्वपूर्ण चर्चा की गई।

इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के चांसलर इंजीनियर सुमन विक्रांत, रजिस्ट्रार प्रो. डॉ.आर.एल. शर्मा, परीक्षा नियंत्रक अफजल खान, डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. नीलम शर्मा, एसोसिएट डीन ऑफ लॉ डॉ. अमनदीप कौर चौहान और पत्रकारिता विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्यार सिंह और विभिन्न संकायों के विभागाध्यक्ष और प्राध्यापक शामिल रहे। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पंजाब विश्वविद्यालय पटियाला, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, चितकारा विश्वविद्यालय, लवली प्रोफेशनल विश्वविद्यालय और अन्य कई प्रतिष्ठित संस्थानों के शोधकर्ताओं ने भी भाग लिया, जिससे नवाचार पर संवाद और शैक्षणिक आदान-प्रदान से छात्रों को भविष्य में किए जाने वाले नवाचारों के लिए बल मिला। वहीं कॉर्पोरेट प्रायोजकों की ओर से एसजेवीएन लिमिटेड और अल्ट्राटेक सीमेंट के समर्थन ने कार्यक्रम के सुचारू संचालन को सक्षम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके संरक्षण ने स्पीकर जुड़ाव, रसद समर्थन और प्रतिस्पर्धी प्रस्तुतियों के माध्यम से उत्कृष्ट शोध को मान्यता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान सर्वश्रेष्ठ विज्ञान-पोस्टर प्रस्तुतियों, शोध-मॉडल और शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले शोधार्थियों, विशेषज्ञों और मुख्य वक्ताओं को चांसलर इंजीनियर सुमन विक्रांत ने प्रमाणपत्र एवं पुरस्कार प्रदान किए। चांसलर सुमन विक्रांत ने विश्वविद्यालय की दूरदर्शी पहलों की सराहना की और राष्ट्रीय विकास में जिम्मेदार एआई से संबंधित नवाचारों के महत्व पर जोर दिया। चांसलर इंजीनियर सुमन विक्रांत ने न केवल भविष्य की प्रौद्योगिकियों को आकार देने में एआई की बढ़ती प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला, बल्कि वैश्विक शैक्षणिक सहयोग और सामाजिक, आर्थिक, मानव विकास एवं राष्ट्र उन्नति के लिए एपीजी शिमला विश्वविद्यालय की नवाचारों के प्रति प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया। कार्यक्रम का समापन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डीन प्रोफेसर डॉ. अंकित ठाकुर द्वारा दिए गए धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ, जिसके बाद राष्ट्रगान और एक समूह फोटोग्राफ हुआ।