आधुनिक डिजाइनों के वस्त्र बनाकर युवाओं को भी कर रहे है आकर्षित
विशेषर नेगी
रामपुर/शिमला। भारतीय पहाड़ी हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़े लोग .शिमला जिले के रामपुर बुशहर में स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। यहां पर बुशहर बुनकर सोसाइटी व् दिव्यांग स्वयं सहायता समूह ग्रामीण साधनहीन व् बेरोजगारों को घर द्वार पर रोजगार मुहया करवा रहे है। इन संस्थाओ को सरकार की हथकरघा से जुडी संस्थाए देश के विभन्न हिस्सों में प्रदर्शनियां
लगाने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ मदद भी कर रही है है। वर्तमान में यहाँ दो संस्थाए दर्जनों विकलांगो को सिलाई बुनाई का प्रशिक्षण देने के साथ उन के द्वारा तैयार वस्त्रो और अन्य पोशाकों की मार्किटिंग कर उन्हें रोजगार मुहैया करवा रहे है। दिव्यांग स्वयंसहायता समूह दिव्यांगों को घर द्वारा पर कच्चा माल उपलब्ध करा कर उन से विभिन्न डिजाइनों के पोषक और अन्य वस्त्र बनवाती है। इसी तरह बुशहर बुनकर सोसाइटी भी बेरोजगारों को सरकार के सहयोग से पहले प्रशिक्षित करती है उस के बाद उन्हें सिलाई बुनाई का काम मुहया करवा रही है। इन संस्थाओ के सहयोग से कई बेरोजगार अब अच्छा पैसा कमा रहे है।
इन संस्थाओ द्वारा उन ग्रामीण बुनकरों व् सिलाई का कार्य करने वालो से पारंपरिक परिधानों व् वर्तमान फैशन से जुड़े परिधान तैयार कर उन्हें देश की देश की विभिन्न शहरो में प्रदर्शनी के माध्यम से बिक्री करती है। बुनकर खासकर ऊन और पशम को कात कर पट्टी एपट्टू ए शाल ए मफलर तैयार करते है। पट्टी से कोट ए बास्केट टोपी व् अन्य परिधान तैयार होते है। इन संस्थाओ का प्रयास है की विभिन्न पारंपरिक पहनावा यहां की पुरानी परंपरा के अनुसार भी तैयार करे ताकि संस्कृति संरक्षित हो। इस के अलावा युवाओ की मांग को ध्यान में रख कर आधुनिक फैशनयुक्त वस्त्र भी तैयार किये जा रहे है।
जिन की मांग स्थानीय बाजार के अलावा देश के विभिन्न स्थानों पर लगने वाली प्रदर्शनियो में अधिक है। इस के अलावा रामपुर बाजार में भी बिक्री केंद्र खोल कर उनके द्वारा तैयार सामान बेचा जाता है। दिव्यांग स्वयं सहायता समूह से जुड़े प्रभात नेगी ने बताया की वे आधुनिक एवं पुरानी परम्परा से जुड़े वस्त्र तैयार करते है। और वे अच्छा
मुनाफा कमा रहे है। रोजगार का अच्छा कमाई का साधन बना है। आरडी कश्यप दिव्यांग स्वयं सहायता समूह के प्रमुख ने बताया जो दिव्यांग लचर है उन्हें काम मुहया करवा कर उन के द्वारा तैयार माल को दे की राजधानी समेत प्रमुख शहरो में प्रदर्शनियो से बिक्री कर रहे है। इस तरह वे अच्छी कमाई कर रहे है। वे प्रयास कर रहे है की अधिक से अधिक विकलांगो को साथ जोड़ कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाये। चंद्र मोहन बुशहर बुनकर सोसाइटी के सदस्य ने बताया हमारा मकसद ग्रामीण क्षेत्र के छोटे हस्तकला से जुड़े उद्योगों को प्रोत्साहित करना है ताकि गाँव में में बैठे बेरोजगारों को प्रशिक्षित कर रोजगार दे। वे उन के विभिन्न वस्त्र बनवाते है।
खास कर आधुनिक डिजाइन से जुड़े बुलन वस्त्रो की मांग अधिक है। वे सरकार की हथकरघा से जुडी संस्ताओ के सहयोग से प्रदर्शनियां भी देश के विभिन्न हिस्सों में लगते है और अच्छी आमदनी होती है।